जाने क्यों की जाती है इस दिन भगवान शिव ओर देवी पार्वती कि पूजा
भीमना अमावस्या कर्नाटक में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है. भीमना अमावस्या को भीम अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में पंचांग अनुसार, भीमना अमावस्या आषाढ़ महीने में जुलाई या अगस्त माह के दौरान मनाई जाती है. इस वर्ष यह गुरुवार, 28 जुलाई, 2022 को मनाया जाने वाला है. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष स्थान रहा है. यह चंद्रमा के प्रकाश की पूर्ण समाप्ति का समय होता है तथा पितरों हेतु किए जाने वाले कार्यों का विशेष अवसर अमावस्या का स्वरुप आध्यात्मिक एवं धार्मिक सभी दृष्टिकोण से विशेष रहा है. इसी संदर्भ में दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला भीमना अमावस्या का पर्व काफी विशेष रहता है.
भीमना अमावस को 'पति संजीवनी व्रत', ज्योतिर्भेश्मेश्वर व्रत, दीपस्तंभ पूजा और हीमना अमावस के नाम से भी जाना जाता है. इस के अलावा इस पर्व को आति अमावस्ये और कर्नाटक में इस त्यौहार को कोडे अमावस्ये के नाम से जाना जाता है.
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भीमना अमावस्या 2022 का महत्व
भीमना अमावस्या व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. विवाहित और अविवाहित महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और घर में अपने पति, भाइयों और अन्य पुरुष सदस्यों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और इस अनुष्ठान को दीपस्तंभ पूजा के रूप में भी जाना जाता है. इस समय पर दीप भी प्रज्जवलित किए जाते हैं. अंधकार को हटाने हेतु प्रकाश की व्यवस्था ही दीप दान की महत्ता को दर्शाती है.
भीमना अमावस्या 2022 अनुष्ठान
भीम अमावस्या का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. मिट्टी का उपयोग करके बनाई गई दीए की एक जोड़ी जिसे कलिकम्बा के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करती है. भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस शुभ दिन पर विशेष पूजा की जाती है.
भीमना अमावस्या पर एक और महत्वपूर्ण विशेषता कडुबू का निर्माण है. आटे के गोले या कडुबस में सिक्के छिपे होते हैं. इडली, कोझकट्टई, मोदक और गेहूं के गोले में भी सिक्के छिपे होते हैं. भीमना पूजा के अंत में इन मोदक इत्यादि को भाई या युवा लड़कों द्वारा तोड़ा जाता है.
जो महिलाएं भीम अमावस्या के दिन व्रत रखती हैं, वह व्रत के बाद यदि भोजन में तले हुए भोजन को शामिल नहीं करना चाहिए. वे भगवान शिव और देवी पार्वती को अर्पित करने के बाद फल और दूध से बने पदार्थ खाकर अपना उपवास संपन्न करती हैं. .
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भीम अमावस्या 2022 कहानी
भीम अमावस्या की कथा एक युवा लड़की की कहानी पर आधारित है, जिसकी शादी एक मृत राजकुमार से हुई थी. किंतु उसने अपने विश्वास को स्वीकार कर लिया और शादी के अगले दिन उसने मिट्टी के दीयों से भीमना अमावस्या पूजा की. उसकी भक्ति से प्रभावित होकर शिव और पार्वती उसके सामने प्रकट हुए और राजकुमार को जीवित कर दिया. उसके द्वारा तैयार मिट्टी के कडुबू को भगवान शिव ने तोड़ा था. तभी से इस दिन को भीमना अमावस्या के नाम से मनाया जाने लगा.
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