myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Know why lord shiva and goddess parvati are worshipped on this day

Bhimana Amavasya: जाने क्यों की जाती है इस दिन भगवान शिव ओर देवी पार्वती कि पूजा

MyJyotish Expert Updated 28 Jul 2022 11:14 AM IST
जाने क्यों की जाती है इस दिन भगवान शिव ओर देवी पार्वती कि पूजा
जाने क्यों की जाती है इस दिन भगवान शिव ओर देवी पार्वती कि पूजा - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन

जाने क्यों की जाती है इस दिन भगवान शिव ओर देवी पार्वती कि पूजा 


भीमना अमावस्या कर्नाटक में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है. भीमना अमावस्या को भीम अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में पंचांग अनुसार, भीमना अमावस्या आषाढ़ महीने में जुलाई या अगस्त माह के दौरान मनाई जाती है. इस वर्ष यह गुरुवार, 28 जुलाई, 2022 को मनाया जाने वाला है. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष स्थान रहा है. यह चंद्रमा के प्रकाश की पूर्ण समाप्ति का समय होता है तथा पितरों हेतु किए जाने वाले कार्यों का विशेष अवसर अमावस्या का स्वरुप आध्यात्मिक एवं धार्मिक सभी दृष्टिकोण से विशेष रहा है. इसी संदर्भ में दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला भीमना अमावस्या का पर्व काफी विशेष रहता है. 

भीमना अमावस को 'पति संजीवनी व्रत', ज्योतिर्भेश्मेश्वर व्रत, दीपस्तंभ पूजा और हीमना अमावस के नाम से भी जाना जाता है. इस के अलावा इस पर्व को आति अमावस्ये और कर्नाटक में इस त्यौहार को कोडे अमावस्ये के नाम से जाना जाता है.

आज ही करें बात देश के जानें - माने ज्योतिषियों से और पाएं अपनीहर परेशानी का हल 

भीमना अमावस्या 2022 का महत्व
भीमना अमावस्या व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. विवाहित और अविवाहित महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और घर में अपने पति, भाइयों और अन्य पुरुष सदस्यों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और इस अनुष्ठान को दीपस्तंभ पूजा के रूप में भी जाना जाता है. इस समय पर दीप भी प्रज्जवलित किए जाते हैं. अंधकार को हटाने हेतु प्रकाश की व्यवस्था ही दीप दान की महत्ता को दर्शाती है. 

भीमना अमावस्या 2022 अनुष्ठान
भीम अमावस्या का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. मिट्टी का उपयोग करके बनाई गई दीए की एक जोड़ी जिसे कलिकम्बा के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करती है. भगवान को प्रसन्न करने के लिए इस शुभ दिन पर विशेष पूजा की जाती है.
भीमना अमावस्या पर एक और महत्वपूर्ण विशेषता कडुबू का निर्माण है. आटे के गोले या कडुबस में सिक्के छिपे होते हैं. इडली, कोझकट्टई, मोदक और गेहूं के गोले में भी सिक्के छिपे होते हैं. भीमना पूजा के अंत में इन मोदक इत्यादि को भाई या युवा लड़कों द्वारा तोड़ा जाता है.
जो महिलाएं भीम अमावस्या के दिन व्रत रखती हैं, वह व्रत के बाद यदि भोजन में तले हुए भोजन को शामिल नहीं करना चाहिए. वे भगवान शिव और देवी पार्वती को अर्पित करने के बाद फल और दूध से बने पदार्थ खाकर अपना उपवास संपन्न करती हैं. .

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ह

भीम अमावस्या 2022 कहानी
भीम अमावस्या की कथा एक युवा लड़की की कहानी पर आधारित है, जिसकी शादी एक मृत राजकुमार से हुई थी. किंतु उसने अपने विश्वास को स्वीकार कर लिया और शादी के अगले दिन उसने मिट्टी के दीयों से भीमना अमावस्या पूजा की. उसकी भक्ति से प्रभावित होकर शिव और पार्वती उसके सामने प्रकट हुए और राजकुमार को जीवित कर दिया. उसके द्वारा तैयार मिट्टी के कडुबू को भगवान शिव ने तोड़ा था. तभी से इस दिन को भीमना अमावस्या के नाम से मनाया जाने लगा.

ये भी पढ़ें

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X