जाने कब है सावन का भौम प्रदोष व्रत, इस विधि से पूजा करने से दूर होंगे सभी कर्ज
प्रदोष व्रत भगवान शिव के निमित्त किया जाने वाला एक पवित्र व्रत हैं जिसे भक्तों में विशेष उत्साह और उल्लास के साथ मनाते देखा जाता है. यह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाने वाला एक विशेष दिन होता है. यह पारंपरिक हिंदू पंचांग अनुसार त्रयोदशी तिथि अर्थात 13 वें दिन को पड़ता है. इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक हिंदू महीने के 'शुक्ल पक्ष' और 'कृष्ण पक्ष' में प्रदोष व्रत को दो बार मनाए जाने का विधान भी है.
जब यह प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इसे 'भौम प्रदोष व्रत' कहा जाता है. 'भौम' शब्द 'मंगल ग्रह' का दूसरा नाम है, जो मंगलवार के अधिष्ठाता देवता भी हैं. भौम प्रदोष व्रत अनुष्ठान करने के लिए गोधूलि की अवधि को सबसे उपयुक्त माना जाता है. हिंदू पुराणों में कहा गया है कि इस दौरान भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभाशीष प्राप्त होता है. भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और जीवन के मंगल एवं सौभाग्य के लिए इस दिन उपवास रखते हैं.
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भौम प्रदोष व्रत 09 अगस्त 2022 मंगलवार को मनाया जाएगा.
भौम प्रदोष व्रत के दौरान पूजा नियम
भौम प्रदोष व्रत के उस दिन भक्त उठकर जल्दी स्नान करते हैं. इस व्रत के पालनकर्ता को सूर्यास्त समय पर भी स्नान होता है. पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व कोने में स्थान उपयुक्त है जहां 'प्रदोष काल' अर्थात शाम से पहले की अवधि के दौरान की जाती है. पूजा स्थल को गंगाजल से साफ किया जाता है. वहां भगवान शिव एवं देवी पार्वती को विराजमान किया जाता है. भक्त 'अभिषेक' करते हैं और भगवान को कई प्रसाद चढ़ाते हैं. अनुष्ठान करते समय, भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का जाप करना चाहिए. अंत में आरती की जाती है और इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद दिया जाता है.
भौम प्रदोष व्रत का महत्व:
भौम प्रदोष व्रत की महिमा कई ग्रंथों में मौजूद है तथा शैव ग्रंथों में इसका विशेष वर्णन प्राप्त होता है. भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए एक शुभ दिन होता है. जब प्रदोष व्रत का पालन मंगलवार के साथ होता है, तो इसे लोकप्रिय रूप से भौम प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि भगवान शिव और मंगल से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भौम या मंगल ग्रह ने गंभीर 'तपस्या की थी और भगवान शिव को प्रसन्न करके मंगल लोक प्राप्त किया. इसलिए यह माना जाता है कि जो व्यक्ति भौम प्रदोष व्रत का पालन करता है और भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
संतान की प्राप्ति के लिए महिलाएं इस पवित्र व्रत का पालन करती हैं. भौम प्रदोष व्रत की शक्ति ऐसी है कि यह जीवन में सभी बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और आसपास के वातावरण को भी शुद्ध करती है. जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो उसे यह पूजा और व्रत करना चाहिए. भौम प्रदोष व्रत का पालन करने वाला भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करता है और अंततः मोक्ष चाहता है.
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