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Surya Sankraanti: जानें कब है घी संक्रांति पौराणिक महत्व एवं पूजा विधि

Myjyotish Expert Updated 16 Aug 2022 10:12 AM IST
जानें कब है घी संक्रांति पौराणिक महत्व एवं पूजा विधि
जानें कब है घी संक्रांति पौराणिक महत्व एवं पूजा विधि - फोटो : google
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जानें कब है घी संक्रांति पौराणिक महत्व एवं पूजा विधि 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं. जब सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है. सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है, उसे उसी राशि की संक्रांति कहते हैं. 17 अगस्त को सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करेगा जिसे सिंह संक्रांति के रुप में भी जाना जाता है. संक्रांति समय के दौरान पितरों का तर्पण कार्य भी किया जाता है. पूर्वजों को नमकर करते हैं तथा उनसे अपनी सुख शांति हेतु आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. 

ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव 17 अगस्त 2022 को कर्क राशि को छोड़कर सिंह में प्रवेश करेंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति के दिन लोगों को घी का सेवन अवश्य करना चाहिए. संक्रांति के दिन स्नान करने का विधान है. गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में. स्नान के बाद दान-पुण्य करने की भी परंपरा है. इस दिन भगवान विष्णु और सूर्यदेव के साथ-साथ भगवान नरसिंह की भी पूजा की जाती है.

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घी संक्रांति कब है?
भादो यानि भाद्रपद माह के समय इस संक्रांति को मनाया जाता है. जब सूर्य देव सिंह राशि में परिवर्तन करते हैं तो इसे सूर्य सिंह संक्रांति कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस संक्रांति पर घी का सेवन किया जाता है. इसलिए इसे घी संक्रांति भी कहते हैं. घी संक्रांति 17 अगस्त 2022 को है.

सिंह संक्रांति के दिन घी का सेवन क्यों जरूरी है?
आयुर्वेद के अनुसार शुद्ध गाय का घी यानी देसी गाय का घी ऊर्जा, स्मरण शक्ति, शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाता है. गाय का घी मोटापा बढ़ाने वाला होता है. यह वात, पित्त और ज्वर आदि का नाश करता है. धार्मिक ग्रंथों में भी घी संक्रांति के दिन घी के सेवन का विशेष महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि सिंह संक्रांति के दिन गाय के घी का सेवन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन घी का सेवन करने से ऊर्जा, तेज और बुद्धि में वृद्धि होती है.

धार्मिक मान्यता है कि सूर्य संक्रांति के दिन घी खाने से राहु और केतु के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है. 
कुछ मान्यताओं के अनुसार जो लोग सिंह संक्रांति के दिन घी का सेवन नहीं करते वे अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेते हैं. घोंघा बहुत धीमी गति से चलने के कारण इसे आलस्य का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन घी का सेवन बहुत ही लाभकारी और शुभ होता है.
घी सूर्य के विशेष कारक तत्वों में भी होता है अत: घी का उपयोग इस दिन करने से सूर्य देव का बल एवं ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है. 

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