जाने कब और क्यों लिया भगवान विष्णु ने वराह अवतार
वराह जयंती भगवान विष्णु के तीसरे अवतार का जन्म उत्सव है. शास्त्रों के अनुसार श्री विष्णु के अनेक अवतार हुए भगवान के प्रत्येक अवतार का स्वरुप सृष्टि के कल्याण हेतु हुआ. वराह जयंती 30 अगस्त 2022 मंगलवार को मनाया जाएगा. प्रभु श्री विष्णु जो पालनहार भी कहे जाते हैं सृष्टि के निर्माण एवं उसके सृजन को शुभस्थ बनाते हैं. भगवान का वराह अवतार भी इसी स्वरुप का एक अवतार रहा है. भगवान ने पृथ्वी को बचाने हेतु इस अवतार को लिया.
भगवान विष्णु के सभी अलग-अलग अवतारों को हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मांड के संरक्षक से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में त्योहारों के रूप में मनाया जाता है. वराह जयंती भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान वराह की पूजा करने से भक्त को स्वास्थ्य और धन सहित सभी प्रकार के सुख मिलते हैं. आधा वराह आधा मानव का यह अवतार लेकर भगवान ने हिरण्याक्ष को पराजित किया था और सभी बुराइयों को नष्ट कर दिया था. इस प्रकार, भक्त उनकी पूजा करते हैं और भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं.
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वराह जयंती महत्वपूर्ण समय
वराह जयंती का पर्व 30 अगस्त मंगलवर के दिन मनाया जाएगा. तृतीया तिथि, हस्थ नक्षत्र एवं शुभ योग में इस पर्व को मनाया जाएगा. तृतीया तिथि 29 अगस्त, 2022 दोपहर 3:21 बजे शुरू होगी. तृतीया तिथि 30 अगस्त, 2022 3:33 अपराह्न समाप्त हो रही है.
वराह जयंती पूजन कार्य
यह त्यौहार मुख्य रूप से संपूर्ण भारत के विभिन्न स्थानों में उत्साह के साथ संपन्न होता है. दक्षिण भारत में इसका अलग ही रुप देखने को मिलता है. इस शुभ दिन में भक्त जल्दी उठते हैं और भगवान की पूजा करने के लिए साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं.
भगवान वराह की मूर्ति को एक कलश में रखा जाता है, जिसमें सिर पर नारियल के साथ पानी और आम के पत्ते भरे होते हैं. पूजा पूरी होने के बाद, श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ किया जाता है. भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं.
वराह जयंती का व्रत रखने वाले भक्त गरीबों को धन या वस्त्र दान करते हैं.
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वराह जयंती महत्व
भगवान वराह का एक पुराना मंदिर मथुरा में मौजूद है जहां इस दिन का उत्सव भगवान की जयंती के रूप में खुशी और खुशी के साथ मनाया जाता है. तिरुमाला में एक और मंदिर है; इसका नाम भु वराह स्वामी मंदिर है जहां इस दिन वराह स्वामी की मूर्ति को पवित्र स्नान कराया जाता है. स्नान घी, मक्खन, शहद, दूध और नारियल पानी से किया जाता है.
भगवान वराह की पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य, सुख शांति, धन एवं सभी प्रकार के कल्याण कार्य संपन्न होते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए जाते हैं. मंदिरों को विशेष रुप से सजाया जाता है तथा भक्तों में विशेष भोग प्रसाद रुप वितरित किया जाता है.
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