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इस नवरात्रि जानिए क्या है प्राचीन वैष्णों देवी मंदिर का इतिहास

My Jyotish Expert Updated 21 Mar 2020 01:01 PM IST
Know this Navratri, what is the history of ancient Vaishno Devi temple
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माता वैष्णों का प्राचीन गुफा मंदिर हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है। समय के साथ माँ के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है। नवरात्रि के दिनों में तो यहां असंख्य लोगों की भीड़ उमड़ती है जो दूर - दूर से माँ के चरणों में दर्शन के लिए आते हैं। माँ वैष्णों देवी का भव्य मंदिर जम्मू कश्मीर राज्य के कटरा शहर में स्थित है। यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। भक्तों की सुरक्षा के लिए प्राचीन गुफा का रास्ता बंद कर दिया गया है जिसकी जगह नयी कृत्रिम गुफा का निर्माण किया गया है।

त्रिकुटा की पहाड़ियों की एक गुफा में माता वैष्णों देवी की तीन मूर्तियां है। देवी काली जो की दायीं ओर, माँ सरस्वती बायीं ओर, और माँ लक्ष्मी मध्य में पिण्ड के रूप विराजित हैं। इस स्थान को माता का भवन कहा जाता है। इस गुफा में बड़ा सा चबूतरा बना हुआ है जहा देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती  हैं। कटरा से माता के भवन का रास्ता शुरू हो जाता है जो की 13 किमी है और भैरव बाबा मंदिर तक का रास्ता कुल 14.5 किमी का होता है। इस पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है।

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मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 700 वर्ष पूर्व पंडित श्रीधर द्वारा करवाया गया था। कथन के अनुसार श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न हो कर माँ ने उसकी लाज बचने के लिए दुनिया को अपने होने के आस्तित्व का प्रमाण दिया था। माँ ने पंडित श्रीधर को एक छोटी सी बच्ची के रूप में दर्शन दिए थे। इसलिए आज भी नवरात्रियों में छोटी छोटी कन्याओं को माँ के स्वरुप में भोजन करवाया जाता है। यही नहीं जो कोई भी माँ वैष्णों के धाम दर्शन के लिए आता है वो भी कंजक भोज अवश्य ही करवाता है।

माँ वैष्णों के मंदिर के ठीक ऊपर भैरव का मंदिर है। माँ ने इस स्थान पर भैरव का संहार करने के लिए ही अवतार लिया था। कथन के अनुसार आज भी उस मंदिर में भैरव का शरीर मौजूद है जिन्हे मरणोपरांत देवी से वरदान मिला था की जो कोई भी देवी के दर्शन के लिए आएगा उन्हें भैरव मंदिर के दर्शन भी करने होंगे नही तो उनकी यात्रा सफल नहीं होगी। यहां नवरात्रि के अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है। विभिन्न प्रकार के फल फूल इसकी सजा के लिए इस्तेमाल किये जाता है। श्रद्धालु दूर-दूर से माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने यहां पहुंचते हैं।

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