नागौ को लोक देवता भी कहा जाता है और साथ ही साथ यह भी बताया है कि हमारा जो भारतीय समाज है उसमें हर साल सावन के महीने में नागों का पूजा किया जाता है और यह परंपरा बहुत पहले से चलती आ रही है. नाग लोक जहां नागों का स्थान माना जाता है इसी बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि नागों का कितना महत्व है. अगर हम बात करें पौराणिक के आधार पर तो इसी दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी और तो और इन पौराणिक पर यह उल्लेख दिया गया है कि इसमें पांच प्रकार के नाम जैसे अनंत, वासु की, तक्षक, पिंगल और कर्कोटक.
शीघ्र विवाह के लिए सावन शिवरात्रि पर अमरनाथ में कराएं महारुद्राभिषेक
ऐसा कहा गया है कि जो तक्षक नाग है उसके डसने से राजा की मृत्यु हो गई थी और तो और कर्कोटक नाग के छल से गुस्सा होकर ना दर्जी ने उसे शाप दे दिया था तब जाकर जो राजा नल थे उन्होंने प्राणों की रक्षा लेने का फैसला किया था और तो और हिंदू साहित्य में यह कहा गया है कि जो पिंगल नाग है उसको कलिंग में जो छुपा हुआ खजाना है उसका संरक्षक माना जाता है.
जैसा कि हम जानते हैं भगवान भोले शंकर के तो गले में ही नाग देवता का श्रृंगार है और तो और ऐसा कहा गया है कि शेषनाग के फन पर ही हमारी धरती टिकी हुई है. हिमांशु को काल का देवता इसीलिए कहा जाता है क्योंकि उनके गले में उन्होंने नाग धारण कर रखा है. नहीं सिर्फ है बल्कि अगर हम बात करें मोहनजोदड़ो की या हड़प्पा की तो उस समय में भी जो पुरातात्विक मैं प्रमाण मिले थे वह भी सिंधु सभ्यता में ही नाक पूजन की बात करते थे तो हम इससे पता लगा सकते हैं कि नागों का कितना महत्व है. और तो और तमाम ऐतिहासिक लिए बताते हैं कि नाही सिर्फ भारतीय सीमा बल्कि भारत से बाहर भी जैसे सीरिया या बेबीलोन यहां पर भी नागों का पूजा करा जाता है.
जैसा कि हम जानते हैं सावन के महीने मैं भगवान शिव को बहुत माना जाता है पर वर्षा ऋतु के महीने में भूगर्भ से नाग निकल कर जब भूतल पर आ जाता है अभी नाग देवता प्रसन्न हो जाते हैं और नाग पंचमी की पूजा की जाती है और तो और ऐसा कहा जाता है कि पूरे सावन के महीने में नाग पंचमी के दिन अगर धरती को खुद आ जाए तो वह बहुत अस्वीकृत (taboo) माना जाता है. ऐसी कई सी जगह है जैसे हिमाचल या उत्तराखंड और नेपाल तथा अरुणाचल में ना पूजा को बहुत बड़ा माना जाता है और आज भी वहां पर नागों की पूजा हुई जाती है.
यह भी पढ़े-
सावन 2021: सावन के अंतिम सोमवार से पहले जानें कैसे करें इस दिन शिव शंभु को प्रसन्न, पूजा विधि व महत्व
हर सपना कुछ कहता है, स्वप्न शास्त्र से जानिए सपने में सांप देखने का क्या होता है अर्थ
सौभाग्य और आरोग्य के लिए सावन शिवरात्रि पर अमरनाथ में कराएं महारुद्राभिषेक