चैत्र नवरात्रि में हमारे द्वारा किए गए उपवासों में से तीन दिन की ऊर्जा माँ दुर्गा को समर्पित होती है। अगले तीन दिन की ऊर्जा माँ लक्ष्मी को समर्पित होती है वहीं आखरी के तीन दिनों की ऊर्जा विद्या की देवी माँ सरस्वती को समर्पित होती है। कलश स्थापना ब्रह्माण्ड प्रतीक माना जाता है तथा यह जीवन में शुद्धि और खुशहाली लेकर आती है। नवरात्र में माँ दुर्गा की अखंड ज्योत भी जलाई जाती है।
नवरात्र में कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन, पाएं कर्ज मुक्ति एवं शत्रुओं से छुटकारा
चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। ताकि माँ के आशीर्वाद से उनके जीवन में सुख समृद्धि धन -धान की वृद्धि हो। मंत्र जप, पूजा पाठ, हवन, आरती, प्रसाद वितरण, कन्या भोजन के साथ ही पूजा को संपन्न किया जाता है। नवरात्र के दौरान घी का अखंड ज्योत जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी बाधाएं दूर होती है।
नवरात्रि में माँ के सभी धाम व शक्तिपीठों को बहुत ही सुंदरता से सजाया जाता है। बहुत सी जगहों पर साड़ी छुड़ा और अन्य श्रृंगार की वस्तुओं से पूजा की सजावट की जाती है। नवरात्रि का व्रत और उपवास पूरी श्रद्धा और मन से करने से माँ की कृपा सदैव बनी रहती है। अपनी व अपने परिवार की सुख समृद्धि व स्वास्थ के लिए ब्रह्म बेला में उठकर माँ की पूजा करना बहुत ही फलदायी होता है।
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