कल्कि जयंती पर जाने भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का महत्व और पूजा विधि
कल्कि जयंती भगवान श्री विष्णु के कल्कि अवतार का समय दर्शाती है. भगवान श्री विष्णु के कल्कि अवतार को कलयुग के अवतार समय से जोड़ा जाता है. मान्यताओं के अनुसार श्री विष्णु भगवान पापियों का नाश करने हेतु एवं धर्म कि स्थापना के लिए एक बार पुन: कलयुग में अवतार लेंगे तथा धर्म की स्थापना करके सत युग का आरंभ होगा. यह त्योहार इस लिए मनाया जाता है कि कलियुग में भगवान कल्कि का जन्म दुनिया से बुराइयों को मिटाने और समय के चक्र को सत्य युग में बदलने के लिए होगा.
कलियुग, हिंदू धर्म में, एक युग चक्र है जो चार युगों में चौथा और सबसे विनाशकारी समय है. इसलिए यह माना जाता है कि भगवान महाविष्णु का अवतार काली, पुरुष राक्षस को नष्ट करने और धर्म को बचाने के लिए होगा. भगवान कल्कि जयंती पारंपरिक हिंदू पंचाग अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पड़ती है.
आज ही करें बात देश के जानें - माने ज्योतिषियों से और पाएं अपनीहर परेशानी का हल
कल्कि जयंती पूजा अनुष्ठान
भगवान श्री विष्णु के इस कल्कि अवतरण को मनाने हेतु भक्त काफी उत्साहित होते हैं. इस शुभ दिवस के दौरान, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं और पवित्र विष्णु स्तोत्रम का पाठ करते हैं, किसी मंदिर में या घर पर ही प्रभु का पूजन किया जाता है. घर पर लोग नारायण मंत्र और अन्य मंत्रों का 108 बार विधिपूर्वक पाठ करते हैं और कल्कि जयंती पूजा की शुरुआत बीज मंत्र से करते हैं.
भगवान की मूर्ति को आध्यात्मिक रूप से पंचामृत और पानी से स्नान कराया जाता है, और फिर फूल, धूप और दीप द्वारा पूजन होता है. कल्कि जय्म्ती के अवसर भागवद कथा का आयोजन किया जाता है. इस दिन रामायण का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु के इस शुभ दिवस पर भक्त लोग जरूरतमंदों को वस्त्र एवं भोजन वितरित करते हैं. .
कल्कि जयंती का महत्व
कल्कि जयंती के अवसर पर भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. कल्कि जयंती के अवसर पर विष्णु मंदिरों में भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि भगवान कल्कि का जन्म शंबला गांव में विष्णुयशा नाम के एक समर्पित ब्राह्मण के यहां होगा. भगवान देवदत्त नाम के एक राजसी सफेद घोड़े पर भी प्रकट होंगे, जिसके हाथ में एक तलवार होगी जिसके साथ वह पृथ्वी पर सभी घृणास्पद और विश्वासघाती राजाओं को मार डालेगा. कल्कि भी भगवान के आठ सर्वोच्च गुणों का प्रतिनिधित्व करेंगे, और उनका सबसे आवश्यक सिद्धांत होगा जो दुनिया को पापों से मुक्त करने हेतु होगा.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ह
श्रीमद्भागवत में, कल्कि को भगवान विष्णु के दसवें अवतार के रूप में मान्यता दी गई है, जो कलियुग के वर्तमान चरण को समाप्त करने और सत्य युग को वापस लाने के लिए प्रकट होंगे. भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं और वे अपने सभी बुरे कर्मों या पापों के लिए क्षमा भी मांगते हैं. भक्त शांतिपूर्ण जीवन के लिए भी प्रार्थना करते हैं और आशीर्वाद पाते हैं. कल्कि जयंती के अवसर पर लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं. भगवान की भक्ति द्वारा समस्त भक्तों को मनोरथ भी पूर्ण होते हैं.
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- सिंह राशि के लिए साल 2022 रहेगा सफलता से भरपूर, पढ़े क्या होगा ख़ास
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी बन सकता है