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Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर छलनी से आखिर क्यों देखा जाता है चांद, जानें इससे जुड़ा राज
पति की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाले करवा चौथ व्रत में आखिर छलनी से क्यों देखा जाता है चांद और पति का चेहरा, जानें इससे जुड़ी परंपरा की पीछे की कथा.सनातन परंपरा में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ के व्रत के रूप में मनाया जाता है. इस पावन तिथि पर महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लिए निर्जला व्रत रहती हैं. इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा.
हिंदू धर्म से जुड़े इस महत्वपूर्ण पर्व पर महिलायें 16 श्रृंगार करती है और पूजा में चांद को विशेष रूप से छलनी से चांद को देखने की परंपरा है. करवा चौथ की पूजा में चंद्र देवता को अर्घ्य देते समय आखिर सुहागिन महिलाएं छलनी से चांद को क्यों देखती हैं, आइए इस परंपरा के पीछे का राज जानते हैं.
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कब है करवा चौथ व्रत : 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त : 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार को सायंकाल 05:54 से लेकर 07:09 बजे चंद्रोदय का समय : सायंकाल 08:09 बजे देश की (देश की राजधानी दिल्ली के समय पर आधारित)
करवा चौथ व्रत की कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. एक बार साहूकार की बेटी ने मायके आकर अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन बगैर पानी पिए हुए निर्जल व्रत के कारण जब उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो उसके भाईयों ने अपनी प्यारी बहन का व्रत खोलने के लिए एक पेड़ की आड़ में छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रख दिया.
जिसे देखने के बाद साहूकार की बेटी ने समझा कि चांद निकल आया और उसने उसी को चंद्रमा मानते हुए अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लिया. मान्यता है कि भाईयों के द्वारा किए गए इस छल से उसका व्रत टूट गया और करवा माता ने नाराज होकर उसके पति के प्राण हर लिए.
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छल से बचने के लिए छलनी से देखा जाता है चांद
मान्यता है कि साहूकार की बेटी ने अपनी व्रत के टूटने को लेकर तुरंत ही करवा माता से क्षमा मांगी और अपनी भूल को सुधारने के लिए अगले साल विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा.
इस बार उसने किसी भी छल से बचने के लिए खुद अपने हाथ में छलनी और दीपक रखकर चंद्र देवता के दर्शन किए और उन्हें अर्घ्य दिया. मान्यता है कि विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखने पर करवा माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने साहूकार की बेटी के पति को फिर से जीवित कर दिया.
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