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Karwa Chauth 2022: कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत, जानें पूजा विधि एवं शुभ मुहूूर्त
करवा चौथ के व्रत को सनातन धर्म में सुहागिनों का महाप्रव माना जाता है आईएं हम आपको बताते हैं कि कब मनाया जाएगा करवा चौथ और क्या है इसकी पूजा विधि एवं महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना रखते हुए करवा चौथ का व्रत रखती है.
सनातन परंपरा में करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत के मुकाबले करवा चौथ का पावन पर्व उत्तर भारत में ज्यादा लोकप्रिय है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा करती हैं.
इस साल सुहाग से जुड़ी कामनाओं को पूरा करने वाला करवा चौथ पर्व कब पड़ेगा, इसकी पूजा विधि क्या है और किस मुहूर्त में इसकी पूजा करना शुभ और फलदायी रहेगा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
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कब है करवा चौथ व्रत : 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार
करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त : 13 अक्टूबर 2021, गुरुवार को सायंकाल 05:54 से लेकर 07:09 बजे
चंद्रोदय का समय : सायंकाल 08:09 बजे
करवा चौथ की पूजा का धार्मिक महत्व
जिस करवा चौथ व्रत वाले दिन महिलांए पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए रात्रि के समय चंद्रमा की विशेष रूप से पूजा करती हैं, उसे करक चतुर्थी भी कहते हैं. करवा या फिर करक की बात करें तो इसका हिंदी अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है. इसी करवा के जरिए महिलाएं करवा चौथ की रात को चंद्र देवता को अर्घ्य देती हैं.
हिंदू धर्म में मिट्टी के बर्तन को बहुत ज्यादा पवित्र माना गया है. यही कारण है कि महिलाएं न सिर्फ इस दिन करवा से चंद्र देवता को अर्घ्य देती हैं, बल्कि इसका विशेष रूप से ब्राह्म्मण महिला को दान करके उससे आशीर्वाद भी लेती हैं.
कब करें करवा चौथ की पूजा
प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है. इस साल यह पावन चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार को प्रांरभ होकर 14 अक्टूबर 2022 तक रहेगी. इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा. इस दिन करवा चौथ व्रत की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सायंकाल 05:54 से लेकर 07:09 बजे तक रहेगा.
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करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
करवा चौथ के दिन महिलाओं को प्रात:काल सूर्यादय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए और दिन में शिव परिवार की पूजा करने के बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए. इसके बाद रात्रि में 16 श्रृंगार करने के बाद घर के उत्तर पूर्व दिशा यानि पूजा स्थान पर करवा चौथ की पूजा का चित्र बनाएं या बाजार से लाया हुआ कैलेंडर का पूजा के लिए प्रयोग करें.
करवा चौथ की पूजा करने के लिए सबसे पहले चावल के आटे में हल्दी मिलाकर आयपन बनाएं. इसके बाद इससे स्वच्छ भूमि या चौकी पर सात घेरे बनाएं और उसके ऊपर उस चित्र को रखें. इसके बाद मिट्टी के करवे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं और उसमें दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें. करवा में आप 21 सींकें लगाएं और उसके ऊपर रखे दीपक को जलाएं.
इसके बाद छलनी से चंद्र देवता के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें. करवा चौथ की पूजा में इस व्रत से जुड़ी कथा जरूर सुनें. करवा चौथ व्रत की पूजा संपन्न होने पर अपने पति एवं घर के बड़े लोगों का पैर जरूर छुएं. करवा चौथ का व्रत अपने पति को पूजा के लिए बनाए गए भोग प्रसाद को खिलाने के बाद ही खोलें.
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