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Karwa Chauth 2022 : अगर पहली बार रखने जा रही हैं करवा चौथ व्रत तो जान लें 10 जरूरी नियम
इस साल करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022 दिन गुरुवार को पड़ रहा। सुहागिने पति की लम्बी आयु की लिए निर्जला व्रत रखती है। कार्तिक मास को कामनाओं की पूर्ति का मास माना गया है । तो इस पावन मास में ही करवा चौथ का व्रत सुहागीने रखती है और भगवान से अपने लिए अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती है। क्योंकि ऐसी मान्यता है की कार्तिक बड़े से बड़े कामनयो को पूरा भी करता है।
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सुहागिन स्त्रियों के द्वारा रखे जाने वाले इस व्रत को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने पर ही इस व्रत से जुड़े शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस साल कुछ लोग ऐसी भी होंगे जो करवा चौथ का व्रत पहली बार कर रहे होंगे। उनको कुछ सही से नियम पता नहीं होते है। इसलिए छोटी गलतियां होना लाजमी है तो आइए करवा चौथ से जुड़े कुछ नियम बताते है।
ये व्रत सुहागिनें करती है।
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रोदय तक का ही होता है। इस व्रत में सूर्योदय के पहले कुछ लोग थोड़ा बहुत फलहारी करते है ताकि दिन भर निर्जला व्रत करने में एनर्जी बनी रहे। कुछ लोग ऐसा नहीं भी करते है।
इस दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार करके ही शाम में पूजा करती है। बस एक बात का ध्यान रखें की करवा चौथ का व्रत पति के लंबी उम्र के लिए होता है तो आप इस दिन फीके रंग के कपड़े ना पहने जैसे सफेद रंग या काला रंग क्योंकि ये रंग अशुभ माना जाता है। करवा चौथ वाले दिन महिलाएं को खिले रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
करवा चौथ के दिन पूजा शाम के कुछ समय पहले किया जाता है। किसी भी साफ सुथरी जगह पर पूर्व उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए। इसके बाद कथा सुनकर चंद्रोदय के समय उनका पूजन करते हुए अर्घ्य देना चाहिए।
करवा चौथ की व्रत कथा पूरे विश्वास से पढ़े और कोई भी सुन रहा है तो उसको वही भाव मिले। इसलिए श्रद्धा और विश्वास के साथ ही कथा कहना या फिर सुनना चाहिए।
करवा चौथ व्रत को अमूमन सुहागिन स्त्रियां ही व्रत रखती हैं, लेकिन यदि किसी कन्या का विवाह तय हो चुका है तो वह वह भी अपने होने वाले पति के नाम का करवा चौथ व्रत रख सकती है, लेकिन उसे चंद्र दर्शन की बजाय तारों को देखकर व्रत खोलना चाहिए।
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करवा चौथ व्रत वाले दिन सास की भी कुछ भूमिका होती है। करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद सुहागिन महिला को अपनी सास को बायना देती है।
करवा चौथ वाले दिन महिलाओं को किसी से बाद विवाद नहीं करना चाहिए। इस दिन इन्हें किसी को भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए। ना ही किसी से ऊंचे स्वर में बात करनी चाहिए।
करवा चौथ व्रत वाले दिन जब आप शाम में व्रत खोलती है तो बनाया हुआ भोजन तामसिक नहीं होना चाहिए। तात्पर्य की भोजन में लहसुन प्याज ना हो। खुद भोजन करने से पहले आप अपने पति को भोजन कराएं उसके बाद ही खुद भोजन करें।
करवा चौथ के दिन पूजा के बाद विशेष रूप से अपने बड़ो का आशीर्वाद ले लेना चाहिए। जैसे की माता-पिता या फिर उनके समान स्त्री या पुरुष हो या फिर अपने पति का आशीर्वाद लेना चाहिए।
करवा चौथ वाले दिन किसी को भी भूल कर दूध, दही, चावल या उजले वस्त्र दान में नहीं देना चाहिए। इस दिन ऐसा करने की मनाही है।
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