Kartik Snan 2022 : जानें क्यों इतना खास होता है कार्तिक माह का समय इससे जुड़ी हर बात
कार्तिक माह के आगमन के साथ ही कार्तिक स्नान का आरंभ हो जाता है. यह संपूर्ण माह अत्यंत ही शुभ समय माना जाता है. इसके प्रत्येक दिन में किए जाने वाले धार्मिक कार्यों का पुण्य अत्यंत ही शुभदायक माना गया है.
कार्तिक स्नान हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो हिंदू पंचांग अनुसार कार्तिक माह के दौरान संपन्न किया जाता है. इसी माह में आने वाली कार्तिक पूर्णिमा इस दिन का पावन पर्व भी है. कार्तिक स्नान 2022 09 अक्टूबर रविवार से शुरू होकर 08 नवंबर मंगलवार को समाप्त होगा
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
कार्तिक स्नान महत्व
भक्त लोग कार्तिक माह में स्नान अनुष्ठान के हिस्से के रूप में पवित्र नदी में स्नान करते हैं, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि कार्तिक के महीने के दौरान, भगवान विष्णु ने वेदों को पुनर्स्थापित करने के लिए मत्स्य रूप में अवतार लिया था.
कार्तिक स्नान पूरे महीने चलता रहता है. वाराणसी, कुरुक्षेत्र और पुष्कर महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल हैं, जहां कार्तिक स्नान के लिए हजारों की संख्या में लोग पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं.
कार्तिक स्नान के दौरान धार्मिक कार्य
कार्तिक स्नान के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान पवित्र नदियों में स्नान करना होता है. इस दिन भक्त सूर्योदय के समय उठकर धार्मिक स्नान करते हैं. इस पवित्र स्नान को स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर प्रयाग में गंगा नदी में और हिमालय में 'बदारिकाश्रम' में पवित्र डुबकी लगाने को मोक्ष प्राप्त करने का साधन माना जाता है.
यदि गंगा में स्नान करना संभव न भी हो तो भी आस-पास के किसी जलाशय में जाना भी उत्तम फलदायक होता है. कुछ भक्त इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. इस व्रत को करने वाले को ब्राह्मण को भोजन भी कराते हैं तथा उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. कार्तिक स्नान के अवसर पर, भक्त भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं, जबकि कुछ भक्त पवित्र नदियों की देवी गंगा माता की भी पूजा करते हैं.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
पूजा के एक भाग के रूप में हवन भी किया जाता है. रात में छह अलग-अलग 'कृतिकाओं' की पूजा की जाती है जिनमें शिव, संभूति, संतति, प्रीति, क्षमा और अनुसूया शामिल हैं. पूजा संपन्न होने के बाद ब्राह्मण को भैंस भी दान की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो पूर्ण पूजा अनुष्ठान करता है, वह मृत्यु के बाद 'शिवलोक' तक पहुंचता है.
कार्तिक स्नान पर दीपदान
कार्तिक स्नान पर दीपदान करना अत्यंत फलदायी माना गया है. भगवान शिव, सूर्य देव और चंद्र देव के मंदिरों में गहरी रोशनी करना बहुत फलदायी माना जाता है. यह क्रिया अश्वमेघ यज्ञ करने के समान है. व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अन्य प्रकार का दान भी कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- सिंह राशि के लिए साल 2022 रहेगा सफलता से भरपूर, पढ़े क्या होगा ख़ास
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी