आद्य काली जयंती पूजा द्वारा समाप्त होंगे सभी प्रकार के भय
18 अगस्त को आद्यकाली जयंती का पर्व मनाया जाएगा.आदि काली जयंती के दिन काली पूजा की जाती है और इसे श्यामा पूजा और महनिष पूजा के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार हिंदू धर्म की देवी काली को समर्पित है. देवी काली को भारत के बंगाल क्षेत्र में बहुत अधिक माना जाता है, इसलिए मुख्य रूप से इस क्षेत्र में यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
इस क्षेत्र के अलावा ओडिशा, बिहार और असम में भी इस त्योहार का बहुत महत्व है, इसलिए यहां भी यह त्योहार देखने लायक है. बंगाली, उड़िया और असमिया लोग देवी काली की पूजा करते हैं, वहीं देश के अन्य क्षेत्रों में देवी की पूजा की जाती है.
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देश भर में हैं देवी काली के शक्तिपीठ
देश भर में मौजूद शक्ति पीठों में इस अवसर पर विशेष पूजन होता है. कोलकाता के कालीघाट में एक शक्तिपीठ है, जबकि मध्य प्रदेश के उज्जैन के भैरवगढ़ में गडकलिका मंदिर को भी इस शक्तिपीठ में शामिल किया गया है और गुजरात में पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित महाकाली का जाग्रत मंदिर चमत्कारिक रूप से मनोकामना पूर्ण करने वाला है कहते हैं काली माता की पूजा बड़ी श्रद्धा और भक्ति से करनी चाहिए. आइए जानते हैं काली मां की पूजा करने से क्या-क्या फायदे होते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
- लंबे समय से चली आ रही बीमारी दूर होती है.
- रोग जिनका इलाज संभव नहीं है, वे भी काली की पूजा करने से समाप्त हो जाते हैं.
- काली के उपासक पर काला जादू, टोना और टोना-टोटका का कोई असर नहीं होता है.
- मां काली हर तरह की बुरी आत्माओं से रक्षा करती है.
- कर्ज से मुक्ति मिलती है.
- व्यापार आदि में आ रही परेशानियों को दूर करता है.
- जीवनसाथी या किसी खास दोस्त के साथ रिश्ते में आ रहे तनाव को दूर करता है.
- बेरोजगारी, करियर या शिक्षा में असफलता को दूर करता है.
- व्यापार में लाभ और नौकरी में पदोन्नति.
- अगर रोज कोई न कोई नई मुसीबत आती है तो काली भी ऐसी घटनाओं को रोक देती है.
- शनि-राहु की महादशा या अंतर्दशा, शनि की साढ़े साती, शनि की ढैया आदि सभी से काली की रक्षा करती हैं.
- पितृदोष और कालसर्प दोष जैसे दोषों को दूर करता है.
देवी काली पूजन से सफल होता है तंत्र-मंत्र
देवी काली पूजा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाई जाती है, इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इनका नाम आद्य काली बहुत प्रसिद्ध और प्रतीकात्मक है. इसका अर्थ है घोर अन्धकार. भक्तों द्वारा माता काली की मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना की जाती है, इसके लिए पंडालों आदि को सजाया जाता है और यहां मां की पूजा की जाती है. इस पूजा में तांत्रिक क्रिया भी की जाती है और मन्त्र आदि का पाठ किया जाता है. पूजा करने वाले भक्त सुबह की बजाय रात में ध्यान साधना करते हैं. घरों में जो पूजा-अर्चना की जाती है वह सात्विक रुप से होती है.
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