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Home ›   Blogs Hindi ›   Kalashtami worship in Banaras's Kalabhairav temple will bless Lord Shiva and Goddess Parvati

बनारस के कालभैरव मंदिर में कालाष्टमी की पूजा से मिलेगा भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद

My Jyotish Expert Updated 14 Mar 2020 11:48 AM IST
कालभैरव मंदिर
कालभैरव मंदिर - फोटो : My jyotish
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काशी का कालभैरव मंदिर वाराणसी कैंट से ३ किमी की दूरी पर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है। यह मंदिर, काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मंदिरों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार बाबा विश्वनाथ ने कालभैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। कालभैरव जी काशीवासियों को दंड देने का भी अधिकार रखते है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिमाह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है।

इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की विशेष पूजा की जाती है। सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए भक्त इस दिन व्रत उपवास करते हैं। कथन के अनुसार अष्टमी के दिन ही भगवान शिव ने पापियों के नाश के लिए कालभैरव का रौद्र रूप धारण किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के दो रूप हैं एक हैं बटुक भैरव और दूसरे हैं कालभैरव। बटुक भैरव अपने भक्तों को सौम्य प्रदान करते हैं, वही काल भैरव का रूप अपराधिक मंशा का नाश करने के लिए माना जाता है।


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कालाष्टमी पूजा करने की विधि


मासिक कालाष्टमी की पूजा का समय रात्रिकाल का माना गया है, इस दिन काल भैरव की पूजा १६ विधियों के साथ समपन्न की जाती है। चंद्र माँ के अर्घ के बिना इस व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता। कालाष्टमी के दिन मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है, इस दिन भक्त महादेव और माता पार्वती की आराधना के लिए कथा का पाठ व भजन कीर्तन करते हैं। रविवार और मंगलवार को यहां अपार संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।

क्यों जरुरी है कालभैरव की पूजा


इस दिन व्रत करने वाले लोगों को कालभैरव बाबा की कथा अवश्य ही सुननी या पढ़नी चाहिए। कालभैरव की पूजा से भूत, पिशाच, नकारात्मक शक्तियां और आर्थिक समस्या दूर हो जाती है। काला कुत्ता, भगवान भैरव का वाहन कहा जाता है, कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन कराने से भक्तों पर कालभैरव की कृपा बरसती है तथा उनका आशीर्वाद बना रहता है। यहां बच्चों को काला धागा दिया जाता है जिसे गंडा भी कहा जाता है जिससे भय मुक्त हो जाते हैं। 

कालाष्टमी पूजा के फल
 

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, इस दिन शुद्ध मन से किए सभी कार्यों में सफलता अवश्य ही मिलती है। इस दिन व्रत के बाद आधी रात को धूप, दीप, गंध, काले तिल, उड़द आदि से पूजन किया जाता है। कालभैरव की पूजा से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है, बुरी शक्तियों का साया दूर हो जाता है। घर में सुख शांति का वास होता है, भूत प्रेत और जादू टोने का भय भी नहीं रहता।  

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