Kalashtami Vrat 2022: कार्तिक माह की कालाष्टमी पर करें कालभैरव पूजा मिलेगा विशेष लाभ दूर होगी परेशानियां
कालाष्टमी का पर्व प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना कि जाती है. हर चंद्र मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि के दिन इस पर्व को मनाया जाता है.
भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त शुभ दिन माना जाता है. इस दिन भक्त लोग भगवान भैरव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत का पालन भी करते हैं.
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कालाष्टमी तिथि 17 अक्टूबर 2022 को सोमवार के दिन होने से इस दिन पर ही इस व्रत को मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि का समय: 17 अक्टूबर, सुबह 9:30 बजे से 18 अक्टूबर, 11:58 पूर्वाह्न तक का होगा. कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
कालाष्टमी पूजा के लाभ
काल भैरव के नाम जप से ही मनुष्य को अनेक रोगों से मुक्ति मिल जाती है.संतान की आयु उसके अच्छे सौभगय हेतु यह व्रत उत्तम माना जाता है. निसंस्तान को संतान प्राप्ति का सुख भी प्राप्त होता है.
शनिवार या मंगलवार को कभी भी अपने घर में भैरव पाठ का पाठ करने से व्यक्ति सभी परेशानियों और कष्ट से मुक्त होने का मार्ग काल भैरव पूजा. कालाष्टमी के दिन किया गया पूजन सभी प्रकार की शुभता को प्रदान करने वाला होता है.
काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव कवच स्त्रोत का जाप करने से अकाल मृत्यु से बचाव होता है. जीवन के कष्ट भी इस स्त्रोत से दूर होते हैं. कालभैरव अष्टमी पर भैरव दर्शन करने से अशुभ कर्मों से मुक्ति मिल सकती है.
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काल भैरव की पूजा करने से दोष आसानी से दूर हो जाते हैं. राहु केतु के निवारण के लिए काल भैरव की पूजा करना भी अच्छा माना जाता है.
काल भैरव की पूजा करने से परिवार में सुख, शांति, समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य में भी लाभ होता है.
श्री काल भैरव स्तोत्र
नमो भैरव देवाय नित्ययानंद मूर्तये ।। विधि शास्त्रान्त मार्गाय वेदशास्त्रार्थदर्शिने ।।1।।
दिगंबराय कालाय नमः खट्वांग धारिणे ।। विभूति विलसद्भालनेत्रायार्धें दुमालने ।।2।।
कुमार प्रभवे तुभ्यं बटुकाय महात्मने ।। नमोsचिंत्य प्रभावाय त्रिशूलायुध धारिणे ।।3।।
नमः खड्ग महाधारहृत त्रैलोक्य भीतये ।। पूरित विश्व विश्वाय विश्व पालाय ते नमः ।।4।।
भूतावासाय भूताय भूतानां पतये नम ।। अष्ट मूर्ते नम स्तुभ्यं काल कालाय ते नमः ।।5।।
कं कालायाति घोराय क्षेत्र पालाय कामिने ।। कला काष्टादि रूपाय कालाय क्षेत्रवासिने ।।6।।
नमः क्षेत्रजिते तुभ्यं विराजे ज्ञान शालने ।। विद्यानां गुरवे तुभ्यं विधिनां पतये नमः ।।7।।
नमः प्रपंच दोर्दंड दैत्य दर्प विनाशने ।। निज भक्त जनोद्दाम हर्ष प्रवर दायिने ।।8।।
नमो जंभा रिमुख्याय नामैश्वर्याष्ट दायिने ।। अनंत दुःख संसार पारावारान्त दर्शिने ।।9।।
नमो जंभाय मोहाय द्वेषायोच्याट कारिणे ।। वशं कराय राजन्यमौलन्यस्त निजांध्रये ।।10।।
नमो भक्तापदां हंत्रे स्मृतिमात्रार्थ दर्शिने ।। आनंदमूर्तये तुभ्यं श्मशान निलयाय् ते ।।11।।
वेताल भूत कूष्मांड ग्रह सेवा विलासिने ।। दिगंबराय महते पिशाचा कृतिशालने ।।12।।
नमो ब्रह्मादिभर्वंद्य पद रेणु वरायुषे ।। ब्रह्मा दिग्रास दक्षाय निःफलाय नमो नमः ।।13।।
नमः काशी निवासाय नमो दण्डक वासिने ।। नमोsनंत प्रबोधाय भैरवाय नमोनमः ।।14।।
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