Kalashtami Vrat 2022: कालाष्टमी पर बनेंगे शुभ संयोग, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. काल भैरव की पूजा इस समय पर विशेष रुप से की जाती है. यह पर्व कालाष्टमी के रुप में शैव भक्तों के मध्य बहुत प्रसिद्ध दिन रहता है.
कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव रूप की पूजा की जाती है. भगवान भैरव के तीन रूप विशेष माने गए हैं काल भैरव, बटुक भैरव और रुरु भैरव. इस दिन इनमें से काल भैरव की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर के काल भैरव स्वरूप की पूजा करने से जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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कालाष्टमी कब है
इस बार कालाष्टमी 16 दिसंबर को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन पौष संक्रांति का समय भी मनाया जाएगा. सूर्य पूजा का भी ये विशेष समय होगा.
शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आप शुभ कार्य भी कर सकते हैं.
कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद भगवान भैरव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. फिर घर के मंदिर में दीपक जलाना चाहिए आरती करके भगवान को भोग अर्पित करना चाहिए. ध्यान रहे कि भगवान को सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है.
कालाष्टमी व्रत मंत्र
शिवपुराण में कालभैरव की पूजा के दौरान भैरव जी के मंत्रों का जप करना बेहद फलदायी माना गया है. भैरव मंत्रों के जाप द्वारा जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं. व्यक्ति को पराक्रम एवं निर्भय का आशिर्वाद भी मिलता है. काल भैरव की पूजा यदि मंत्रों द्वारा की जाए तो भक्त को सिद्धि की भी प्राप्ति होती है. काल भैरव मंत्रों का जाप शां के समय करना उत्तम होता है. काल भैरव पूजा में शुचिता एवं शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है.
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अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
अन्य मंत्र:
ॐ भं भं ह्रौं रूरु भैरवाये नम:।।
ऊँ भयहरणं च भैरव:.
ऊँ कालभैरवाय नम:.
ऊँ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ऊँ भ्रं कालभैरवाय फट्.
कालाष्टमी व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान भैरव की कृपा से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. कालाष्टमी पूजन द्वारा रोगों से भी मुक्ति प्राप्त होती है. यदि किसी प्रकार की व्याधी अत्यधिक परेशान कर रही हो अथवा जीवन में आयु को लेकर संकट बना हो तो कालाष्टमी पूजन द्वारा जीवन को सुरक्षा भी प्रदान होती है. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव का पूजन जीवन में शुभता की वृद्धि का संकेत बनता है और संकटों से निजात दिलाता है.
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