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Kalashtami:कालाष्टमी पूजा द्वारा रोग, दोष और भय से मिलती है मुक्ति

MyJyotish Expert Updated 20 Jul 2022 05:31 PM IST
कालाष्टमी पूजा द्वारा रोग, दोष और भय से मिलती है मुक्ति
कालाष्टमी पूजा द्वारा रोग, दोष और भय से मिलती है मुक्ति - फोटो : google
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कालाष्टमी पूजा द्वारा रोग, दोष और भय से मिलती है मुक्ति   


कालाष्टमी का पर्व भगवान भैरव को समर्पित है. यह पर्व हिंदू चंद्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है. इस दिन, हिंदू भक्त भगवान भैरव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं. एक वर्ष में कुल 12 कालाष्टमी मनाई जाती हैं. इनमें से 'मार्गशीर्ष' मास में पड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण है और इसे 'कालभैरव जयंती' के नाम से जाना जाता है. रविवार या मंगलवार को पड़ने वाली कालाष्टमी को भी विशेष माना जाता है, क्योंकि ये दिन भगवान भैरव को समर्पित होते हैं.

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कालाष्टमी पूजा समय 

कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. अगली कालाष्टमी तिथि  20 जुलाई 2022 : बुधवार के दिन मनाई जाएगी. अष्टमी तिथि का समय : 20 जुलाई, को 7:36 पूर्वाह्न से  21 जुलाई, 8:12 पूर्वाह्न तक रहेगा. 

कालाष्टमी पूजा एक विशेष समय होता है तथा इस दिन नियमों का विशेष पालन करना होता है. काल भैरव की पूजा सात्विक एवं तामसिक दोनों रुप से की जाती है. तामसिक पूजन में भैरव को शराब का भोग अर्पित किया जाता है तथा सात्विक पूजा में मिष्ठान एवं खीर अर्पित करते हैं. इस दिन पूजा में शुद्धि एवं पवित्रता का पालन करना अनिवार्य होता है. किसी भी प्रकार के गलत विचार व्रत को समाप्त कर देते हैं तथा पूजन निष्फल हो जाता है इस पूजा में गलतियों का दण्ड भी प्राप्त होता है इसलिए काल भैरव पूजा का विशेष ध्यान पूर्वक तरीके से की जाने की सलाह दी जाती है. 

कालाष्टमी पूजन विधि नियम 

कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं और जल्दी स्नान करते हैं. स्नान कार्यों से निवृत होकर काल भैरव की विशेष पूजा करते हैं. शाम को भगवान काल भैरव के मंदिर में भी जाते हैं और वहां विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी भगवान शिव का एक उग्र रूप है. जिनका जन्म भगवान ब्रह्मा के अभिमान को समाप्त करने के लिए हुआ था. 

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कालाष्टमी पर सुबह के समय पूर्वजों के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान भी किया जाता है. इस दिन भक्त पूरे दिन कठोर उपवास भी रखते हैं तथा भक्त पूरी रात जागरण करते हैं और महाकालेश्वर की कथा सुनने में अपना समय व्यतीत करते हैं. मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत का पालन करने वाले को समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद मिलता है और वह अपने जीवन में सभी सफलता प्राप्त करता है. काल भैरव कथा का पाठ करना और भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है. कालाष्टमी पर कुत्तों को खाना खिलाने शुभ होता है. काले कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना जाता है इसलिए इस दिन कुत्तों को दूध, दही और मिठाई दी जाती है. कालाष्टमी पूजा द्वारा सभी प्रकार के रोग दोष शांत होते हैं. 

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