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कबीर जयंती कब है? , एकता के प्रतीक थे संत कबीर

myjyotish expert Updated 21 Jun 2021 10:20 PM IST
कबीर जयंती कब है? , एकता के प्रतीक थे संत कबीर
कबीर जयंती कब है? , एकता के प्रतीक थे संत कबीर - फोटो : google
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24  जून  जेठ माह में कबीर दास जयंती मनाई जाती  है। कहते है कि कबीरदास का जन्म सन् 1398 में जेठ पूर्णिमा के दिन हुआ था। यह दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसलिए इस दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। संत कबीर दास मध्यकाल के एक महान कवियों में से थे। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज के कल्याण के लिए लगा दिया। कबीरपंथी इन्हें एक अवतारी महापुरुष मानते थे। कबीर जी उनके आराध्य थे। आज के समय में भी कबीर जी को बहुत ही माना जाता है। उनकी वाणी आज भी लोगों के लिए अमृत से कम नहीं है। मान्यता है कि उनकी वाणी लोगों को नया जीवन देने  का काम करती है। संत कबीर जी के लोकप्रिय दोहे जिसे आज भी लोग अपने जीवन के लिए विशेष मानते है। जो लोगों को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश में ले जाने का काम करते हैं। 

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कबीर जी ने अपनी वाणी से ही नहीं बल्कि स्वयं खुद से भी लोगों के जीवन को सुधारने और लोगों के बीच में प्रेम, सद्भाव और एकता कायम करने का प्रयास किया। उनके नाम से ही कबीर पंथ संप्रदाय की स्थापना की गई थी। धर्मदास ने उनकी वाणियों का संग्रह " बीजक " नाम के ग्रंथ में किया जिसके तीन मुख्य भाग हैं- साखी, सबद (पद), रमैनी।

कबीर जी ने लोगों के मन में बने स्वर्ग और नर्क को व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ने के लिए एक बड़ी मिसाल पेश की। माना जाता है कि कबीर जी  अपना पूरा जीवन काशी में बिताने के बाद अपने अंतिम समय में एक ऐसे स्थान पर गए जहां पर लोगों का मानना था कि यह पर मरने वाला व्यक्ति नरक में जाता है। यहीं भ्रम को दूर करने के लिए कबीर जी ने अपना अंतिम समय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास मगहर में अपनी अंतिम सांस ली। सन् 1518 में कबीर का निधन मगहर में हुआ था।

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कबीरदास जी का जब यूपी के मगहर में देहावसान हो गया तो उनके हिंदू और मुस्लिम भक्तों में उनके शव को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। कहते है कि उस समय जब लोगों ने जब उनके मृत शरीर से चादर हटाई गई तो वहां पर उनकी मृत शरीर की जगह फूल मिलें जिसके बाद हिंदू और मुस्लिम लोगों ने अपनी परंपरा के मुताबिक आधे-आधे फूल लेकर कबीर जी का अंतिम संस्कार किया।  आज भी कबीर जी को बहुत पूजा और माना जाता है। उनके कहें हुए हर एक दोहे आज भी लोग अपने जीवन में अपनाते हैं। 

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