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भौम प्रदोष व्रत कब है? इस दिन बन रहा है ये ख़ास संयोग, जानें पूजा विधि और महत्व

Myjyotish expert Updated 21 Jun 2021 01:11 PM IST
भौम प्रदोष व्रत कब है? , इस व्रत बन रहा ये खास संयोग, जानें पूजा विधि और महत्व
भौम प्रदोष व्रत कब है? , इस व्रत बन रहा ये खास संयोग, जानें पूजा विधि और महत्व - फोटो : google
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार जून माह का प्रदोष व्रत जेठ मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी  के दिन 20 जून यानी की मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। यह इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत होगा।  प्रत्येक माह त्रयोदशी तारीख को प्रदोष व्रत को रखा जाता है और जब यह  व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। कहते है कि भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। भक्तों की मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव जल्दी अपने भक्तों से प्रसन्न होते है।

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इस भौम प्रदोष व्रत के दिन बन रहा है खास संयोग

इस प्रदोष व्रत के दिन बेहद खास और शुभ संयोग बन रहा है। जिससे भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होगी और साथ ही सभी तरह की बीमारी से छुटकारा मिलेगा।
बता दें कि इस प्रदोष व्रत के दिन मंगलवार होने के नाते जहां एक दिन हनुमान जी को समर्पित है , तो वहीं दूसरी हो प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने से आपको भगवान शिव और हनुमान जी  दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

कहते है कि हनुमान जी भगवान शिव  का ही एक रूप है। इसलिए यह दिन बहुत ही खास और शुभ है। ऐसे में दोनों की उपासना करना आपके लिए शुभ लाभदायक है।

भौम प्रदोष व्रत की पूजन विधि:

इस दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर या कोई शुभ स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को स्थापित करें और साथ ही आटे और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद भगवान जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प, पंचगव्य का भोग लगाएं। फिर भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्रों का जाप करें। इसी के साथ व्रत का संकल्प लें। इस दिन आप पूरे दिन फलाहार व्रत रखें। फिर अगले दिन चतुर्दशा के समय स्नान और अपनी इच्छा अनुसार दान कर व्रत का पारण करें।

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भौम प्रदोष व्रत का महत्व:

शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव और हनुमान जी अपने भक्तों की पूजा-विधि से बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते है। इसलिए भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से और शिव भगवान को श्रद्धा पूर्वक भक्ति भाव के साथ बेलपत्र. धतूरा मंदार और जल चढ़ाने से जीवन के सारे पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही भगवान की कृपा बनी रहती है। इसलिए हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही विशेष होता है।  

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