कालसर्प योग जीवन में ला सकता है बड़े बदलाव, बस करें यह छोटा सा काम जिससे दूर होगा दोष का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग को खराब योगों की श्रेणी में रखा गया है. कालसर्प दोष एक सर्प दोष है. प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन इसी दोष के रुप में किया गया है. यह केवल अशुभ ही नहीं है. बल्कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर भी व्यक्ति को कई तरह की सफलताएं भी दिला सकता है लेकिन यह संघर्ष का मुख्य कारण बनता है. जानिए इस दोष के बारे में, इसके फायदे, नुकसान और उपाय के बारे में
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
कालसर्प दोष और प्रभाव
यह एक सामान्य स्थिति है जो कई कुंडली में देखी जा सकती है. इस योग में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं. अर्थात राहु और केतु सभी ग्रहों को घेरे हुए हैं. उल्लेखनीय है कि राहु और केतु वास्तविक ग्रह नहीं बल्कि खगोलीय गणना के दो बिंदु हैं. इनमें राहु को उत्तरी ध्रुव और केतु को दक्षिणी ध्रुव कहा गया है. राहु को सांप का मुंह और केतु को सांप की पूंछ भी कहा जाता है.
दुनिया भर के प्रसिद्ध और प्रभावशाली लोगों की जन्म कुंडली देखी जाए तो उनमें से अधिकांश में कालसर्प दोष पाया जा सकता है. ये दोनों ग्रह सभी ग्रहों पर अपना प्रभाव डालकर उन्हें प्रभावित करते हैं. यदि दोनों ग्रह शुभ हों तो व्यक्ति तमाम कठिनाइयों के बावजूद करोड़पति बन सकता है. लेकिन यदि ग्रह अशुभ हों तो जातक करोड़पति बन सकता है. इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसकी प्रवृत्ति को समझते हुए इसका उपाय करना चाहिए.
कालसर्प दोष उपाय
जिस भी कुंडली में यह दोष होता है, वह व्यक्ति दृढ़निश्चयी होता है. वह जो भी काम करने की ठान लेता है, उसे पूरा करके ही सांस लेता है. अगर वह गलत करने की सोचता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता. राहु भी एक छाया ग्रह होने के कारण व्यक्ति को भ्रम की स्थिति में रखता है.
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इसके कारण व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता और गलतियां कर बैठता है. इन्हीं कारणों से जातक के करियर, व्यवसाय, परिवार और प्रेम जीवन में बार-बार परेशानियां आती हैं.अगर आप इस दोष से निजात पाना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ बेहद आसान उपाय बताए गए हैं जो इसे शुभ बनाएंगे. जानिए उनके बारे में
अगर आप हर रोज भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं तो यह दोष दूर हो जाता है.
इसी प्रकार प्रदोष का व्रत रखने और “ॐ नम: शिवाय” का जाप करने से भी शुभ प्रभाव प्राप्त होता है.
कुष्ठ रोगी, असहाय और विकलांग तथा सांप, कुत्ते की सेवा करने से भी यह दोष शुभ हो जाता है.
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