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Kaalashtami 2022: कालाष्टमी व्रत विधि, महत्व एवं तिथि-मुहूर्त 

Myjyotish Expert Updated 22 Feb 2022 05:13 PM IST
कालाष्टमी 23 फरवरी 2022
कालाष्टमी 23 फरवरी 2022 - फोटो : google
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कालाष्टमी व्रत विधि, महत्व एवं तिथि-मुहूर्त 


पंचांग के अनुसार कालाष्टमी प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होती है। इस समय फाल्गुन माह चल रहा है। फाल्गुन माह में कालाष्टमी व्रत आता है। कालाष्टमी के दिन रुद्रावतार काल भैरव की विधि वत पूजा अर्चना एवं उपवास रखा जाता है। कहा जाता है की क्रोध से जब ब्रह्मा जी का सर जलने लगा था, उस समय भगवान शिव के भक्त काल भैरव का जन्म हुआ था और उन्होंने ब्रह्मा जी का जलता हुआ सर काट दिया था। उस वक्त काल भैरव पर ब्रह्मा जी की हत्या का आरोप लगाया गया था। काल भैरव को इस दोष से मुक्ति बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी में प्राप्त हुई थी। जहाँ जाने के बाद वह काशी के कोतवाल बन कर, हमेशा के लिए वहीं के होकर रह गए थे।  

चलिए जानते हैं कालाष्टमी के व्रत-विधि, पूजन एवं मुहूर्त के बारे में। 


कालाष्टमी व्रत मुहूर्त एवं तिथि 

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 23 फरवरी बुधवार को शाम 4 बज के 56 मिनट पे होगी। यह तिथि अगले दिन 24 फरवरी को दोपहर 3 बज के 3 मिनट तक मान्य रहेगी। ऐसे में कालाष्टमी का व्रत 23 फरवरी के दिन रखा जाएगा। 

कालाष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग एवं रवि योग बन रहा है। यह तीनो योग बहुत शुभ मने जाते हैं। इस काल में पूजा अर्चना करना योग्य होता है। कालाष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग 4 बज के 41 मिनट पर शुरू होगा और प्रातः 6 बज के 52 मिनट तक बना रहेगा। 

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कला अष्टमी के दिन प्रातः काल से ही रवि योग शुरू हो जाएगा। यह योग प्रात: 06 बजकर 52 मिनट से दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक बना रहेगा। 


कालाष्टमी पूजा विधि 

  • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। 
  • रोज़ाना के काम और स्नान करने के बाद साफ़ स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। 
  • त्यार होने के बाद अपने घर के मंदिर में दिया बाटी कर लें। 
  • घर के हर कोने में गंगा जल का छिड़काव करें। 
  • भगवान् भैरव को फूल अर्पित करें और उनका अधिक से अधिक ध्यान करें। 
  • भैरव चालीसा का पाठ करें।  
  • भैरव बाबा के भोग में आप फल, मिठाई एवं गुड़ से बनी चीज़ों का भोग लगा सकते हैं। 
  • भैरव भगवान् की आरती करें। 


कालाष्टमी के व्रत का महत्व 

काल भैरव को भगवान शिव का अंश कहा गया है। काल भैरव तंत्र मंत्र के देवता हैं। काल भैरव की पूजा करने से भय, कलेश और सभी तरह के दुःख दर्द आदि दूर हो जाते हैं। मान्यता यह है की भैरव अपने भक्तों पर कृपा बनाये रखें तो उनके भक्तों का अकाल मृत्यु का भय भी ख़तम हो जाता है। संकट मोचक काल भैरव की पूजा आराधना करने से आपके जीवन में से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट हो जाती हैं। 
इस दिन भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी या दूध पीलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भैरव बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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