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कल से आरंभ हो रहा है ज्येष्ठ मास जानें इससे जुड़े जरूरी नियम
आज वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि और इसके बाद कल से हिंदू पंचांग का तीसरा महीना ज्येष्ठ का महीना आरंभ हो जायेगा। यह कल 17 मई मंगलवार से आरंभ होकर 14 जून मंगलवार तक रहेगा। यह महीना बेहद खास है क्योंकि इसमें शनि जयंती, गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस महीने के स्वामी मंगल देव है और इस महीने के अंतिम दिन चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है इसी कारण से इस महीने का नाम ज्येष्ठ मास है। हिंदू धर्म में हर महीने से संबंधित कुछ जरूरी नियम और परंपराएं होती हैं। उसी प्रकार से इस महीने से भी कुछ खास नियम और परंपराएं जुड़े हुए हैं। आज हम आपको इस महीने से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे
धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय नहीं सोना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति इस माह में दोपहर के समय होता है तो उसे अनेक प्रकार की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो बीमार हैं या सोना अति आवश्यक है तो वह सिर्फ एक मुहूर्त यानी लगभग 48 मिनट के लिए हो सकता है।
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ज्येष्ठ मास के पूरे महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नदी स्नान करना चाहिए। यदि आप नदी स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में ही सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद जल का दान करना सबसे उत्तम माना गया है। इस महीने में प्यासे लोगों के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। मान्यता है कि इस महीने में पानी का अपव्यय बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति इस महीने में पानी का अपव्यय करता है उससे वरुण देव नाराज हो जाते हैं और उसे वरुण दोष का सामना करना पड़ता है।
हिंदू पंचांग में एक वर्ष में 12 महीने होते है जो कि चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादो, अश्विनी, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन हैं। ज्येष्ठ का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार तीसरा माह है। इस माह में बैंगन का सेवन करने की मनाही है। आयुर्वेद में भी इस महीने में बैंगन का सेवन करने के लिए मना किया गया है। कहते हैं कि इस महीने में बैंगन का सेवन करने से शरीर में वात अर्थात वायु रोग और गर्मी बढ़ सकती है इसलिए पूरे महीने बैंगन का सेवन करने से बचें।
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ज्येष्ठ मास एक ऐसा महीना है जिसमें तिल का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जो व्यक्ति इस महीने में तिल का दान करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। ज्येष्ठ मास में तिल का दान करने से सेहत से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती है।
जैसा कि हम आपको पहले बता चूके हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ महीने के स्वामी मंगल देव है। इसलिए ज्येष्ठ के महीने में हनुमान जी की पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है। यदि आप अपने जीवन से हर तरह की परेशानी दूर करना चाहते हैं तो इस महीने में हनुमान जी की पूजा अवश्य करें।
ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्।
ऐश्वर्यतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।
महाभारत के इस श्लोक के अनुसार ज्येष्ठ मास में जो व्यक्ति मात्र एक समय का भोजन करता है उसे धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता है। इसलिए संभव हो तो इस महीने में आप रोजाना एक ही वक्त का भोजन करें।
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