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Jaya Ekadashi : जया एकादशी कब? नोट कर लें शुभ मुहूर्त, तारीख, पूजा विधि और महत्व

Myjyotish Expert Updated 01 Nov 2022 12:48 PM IST
Jaya Ekadashi : जया एकादशी कब? नोट कर लें शुभ मुहूर्त, तारीख, पूजा विधि और महत्व
Jaya Ekadashi : जया एकादशी कब? नोट कर लें शुभ मुहूर्त, तारीख, पूजा विधि और महत्व - फोटो : google
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Jaya Ekadashi : जया एकादशी कब? नोट कर लें शुभ मुहूर्त, तारीख, पूजा विधि और महत्व


माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. साल 2023 में जया एकादशी व्रत 1 फरवरी दिन बुधवार को रखा जाएगा. जया एकादशी की व्रत कथा जो श्रीकृष्ण ने सुनाई, इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था. देवगण, संत, दिव्य पुरुष सभी उत्सव में उपस्थित थे. उस समय गंधर्व गीत गा रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं. इन्हीं गंधर्वों में एक माल्यवान नाम का गंधर्व भी था जो बहुत ही सुरीला गाता था.

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

जितनी सुरीली उसकी आवाज़ थी उतना ही सुंदर रूप था. उधर गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नामक नृत्यांगना भी थी. पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर सुध-बुध खो बैठते हैं और अपनी लय व ताल से भटक जाते हैं. उनके इस कृत्य से देवराज इंद्र नाराज़ हो जाते हैं और उन्हें श्राप देते हैं कि स्वर्ग से वंचित होकर मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगोगे.

गंधर्व को इंद्र ने दिया श्राप
श्राप के प्रभाव से वे दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे. पिशाची जीवन बहुत ही कष्टदायक था. दोनों बहुत दुखी थे. एक समय माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था. पूरे दिन में दोनों ने सिर्फ एक बार ही फलाहार किया था.

रात्रि में भगवान से प्रार्थना कर अपने किये पर पश्चाताप भी कर रहे थे. इसके बाद सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई. अंजाने में ही सही लेकिन उन्होंने एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुन: स्वर्ग लोक चले गए.

श्रीकृष्ण अवतार की होती है पूजा
जया एकादशी व्रत के लिए उपासक को व्रत से पूर्व दशमी के दिन एक ही समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. व्रती को संयमित और ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए. प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करके भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करनी चाहिए. रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करना चाहिए.

 हिन्दू धर्म में जया एकादशी का विशेष महत्व होता है. माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ‘जया एकादशी’ कहते हैं. साल 2023 में जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी दिन बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. जया एकादशी को “भूमि एकादशी” और “भीष्म एकादशी” के रूप में भी जाना जाता है.

जया एकादशी तिथि और मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार जया एकादशी तिथि (Jaya Ekadashi Tithi 2023) 31 जनवरी 2023 पूर्वाह्न 11:53 बजे शुरू होगी और 1 फरवरी 2023 को दोपहर बाद 02:01 बजे पर समाप्त हो जाएगी. शास्त्रों में उदया तिथि के अनुसार ही एकादशी का व्रत मान्य होता है. इसलिए 1 फरवरी के दिन जया एकादशी का व्रत रखा जाएगा. बता दें कि

जया एकादशी  2023 मुहूर्त

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जया एकादशी 2023 व्रत: 01 फरवरी 2023, बुधवार
माघ शुक्ल एकादशी तिथि प्रारंभ: 31 जनवरी 2023 पूर्वाह्न 11:53 बजे
माघ शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त: 01 फरवरी 2023 दोपहर 02:01 बजे
जया एकादशी 2023 पारण का समय: 02 फरवरी 2023 पूर्वाह्न 07:09 बजे से 09:19 पूर्वाह्न तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 02 फरवरी को शाम 04 बजकर 26 मिनट

जया एकादशी पूजा विधि 

जया एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान आदि करने के बाद आमचन करें और स्वंय को पवित्र करें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले पुष्प, पीले फल, पीले मिष्ठान, धूप-दीप, कुमकुम, तांदुल, अगरबत्ती आदि चढ़ाएं. अंत में आरती  करें और प्रसाद वितरण करें.

जया एकादशी का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया था, कि यह व्रत ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे पाप से भी मुक्ति दिला सकता है . जया एकादशी को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है. जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
 

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