जन्माष्टमी 2020 : हाथी - घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की...! यह वह धून है जिसपर जन्माष्टमी के दिन भारत का कण - कण गूंज रहा होता है। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाने वाला है। प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी की तैयारियों बहुत धूम - धाम से की जाती है। श्री कृष्ण बचपन से ही खाने - पीने के बहुत शौखिन थे। इसलिए ही विशेष रूप से उनके जन्मदिन के अवसर पर उन्हें 56 होग चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। परन्तु यह प्रथा ऐसे ही नहीं चली आ रही है, इसके पीछे एक विशेष कारण है ,जिससे सम्बंधित कई कथाएं भी है।
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मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण दिन में आठ प्रहार भोजन किया करते थे। परन्तु जब इंद्र के रुष्ट हो जाने पर उनकी नगरी में वर्षा के कारण हाहाकार मचा तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था जिसके कारण वह 7 दिन तक भूखें - प्यासे रहे थे। जब आठवें दिन वर्षा समाप्त हुई तो सभी को कृष्ण को देखकर बहुत दुःख हुआ। जिसके पश्चात यशोदा मैया एवं अन्य गोपियों ने 7 दिन एवं 8 प्रहार के अनुसार 56 विभिन्न व्यंजनों का भोजन तैयार किया। तभी से श्री कृष्ण को 56 भोग लगाने की प्रथा का आरम्भ हुआ।
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नन्दलाल को भोग लगाने की यह कथा बहुत प्रचलित है। माना जाता है की इससे व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते है। एवं उनकी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होती है। अक्सर सभी यह कहते है की किसी भी व्यक्ति को प्रसन्न करने के लिए उनका दिल जितने के लिए उनके पेट का रास्ता चुनना चाहिए। ठीक उसी प्रकार श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन उन्हें 56 भोग का प्रसाद अर्पण करना चाहिए। इससे समस्त परेशानियों निवारण होगा एवं कृष्ण भोग पुण्य की प्राप्ति होगी।
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