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विंध्याचल मंदिर में दुर्गा सहस्त्रनाम के पाठ से कैसे होती है पुण्य की प्राप्ति

Sneha SinghSneha Singh Updated 21 Mar 2020 01:01 PM IST
How does the recitation of Durga Sahastranam in the Vindhyachal temple achieve virtue
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चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर पूरे देश में माँ के अनेक रूपों की पूजा की जाती है। अत्यंत सुन्दर रूप से मंदिरों की सजावट की जाती है। मंदिरों में भक्तों का ताता लगा रहता है, पूरा मंदिर माँ के जयकारों से गूँज उठता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों- महालक्ष्मी,सरस्वती और दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है जिन्हें नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। नौ दिन तक चलने वाले इस पर्व में देवी के विशेष रूपों की उपासना की जाती है। इस बार यह पर्व 25 मार्च से शुरू हो रहा है।


विंध्यवासिनी देवी का विंध्यांचल मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर मिर्जापुर जिले में स्थित है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार यहां, माँ विंध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थिक है। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति इस स्थान पर तप करता है उसे अवश्य ही सिद्धी प्राप्त होती है। नवरात्रि के समय माँ दुर्गा के सहस्त्रनाम का पाठ करने से भक्तों को दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

नवरात्रि पर विंध्याचल में कराएं दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य

दुर्गा सहस्त्रनाम पाठ से अत्यंत शक्ति, कीर्ति और माँ की दया दृष्टि का सुख प्राप्त होता है। इस पाठ का एक एक शब्द चेतना के गुणों को दर्शाता है और बहुत ही महिमाकारी है। इससे भक्तों को वात्सल्य और करुणा की प्राप्ति होती है। उन्हें चतुर्विध फल-धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में माँ के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। माँ को प्रसन्न करने का यह एक आसान तरीका है।

ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरम्भ से लेकर प्रलय आने तक इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त सकता। यहां पर संकल्प करने से ही भक्तों को सिद्धी प्राप्त होती है। इस कारण से भी यह स्थान शक्ति पीठ के नाम से विख्यात है।महादेव और माता पार्वती के साक्षात लीला भूमि पर पुरे वर्ष भक्तों का ताता लगा रहता है।चैत्र नवरात्री के अवसर पर यहां देश के कोने कोने से लोगों की भीड़ जमा होती है।माँ के वैभव से सभी की मनोकामना पूर्ण  हो जाती है।भक्तों समृद्धि शांति मिलती है। जिसके कारण ही भक्त यहां आते है और माँ के महिमा गीत गाकर अपनी अपनी झोलियों में खुशियाँ भर ले जाते है।

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