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Holi 2023: इस कारण से मनाया जाता है होलाष्टक, जिसकी कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है

Myjyotish Expert Updated 01 Mar 2023 11:34 AM IST
Holi 2023: इस कारण से मनाया जाता है होलाष्टक, जिसकी कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है
Holi 2023: इस कारण से मनाया जाता है होलाष्टक, जिसकी कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है - फोटो : google
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इस कारण से मनाया जाता है होलाष्टक, जिसकी कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है


हिंदू धर्म में प्रत्येक पर्व का अपना अलग महत्व होता है. इनके पीछे बहुत से बदलाव होते हैं इसी में से एक पर्व होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. यह पर्व महान भक्त प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है. जब प्रह्लाद अपने पिता हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित होता पर उसकी भक्ति कम नहीं होती है.

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वह भगवान विष्णु के नाम का जाप करता रहता है. अपने भक्त की इस भक्ति भावना को देखकर, भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप धारण किया और होलिका दहन के दोनों समय हिरण्यकश्यप का वध किया, यानी न तो दिन था और न ही रात, जब सूरज और अंधेरा दोनों मिलते हैं. प्रह्लाद की रक्षा हुई.
 
होली की कहानी
अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका को आग में जला दिया था और भक्त को बचाया. होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी जो प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी थी. होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी. इस कारण हिरण्यकश्यप ने होलिका से प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आग्रह किया.

लेकिन यह वरदान सिद्ध नहीं हो पाया और होलिका का वरदान आखिरी वक्त पर निश्फल हो गया और वह अग्नि ने उसे जलाकर राख कर दिया, जबकि प्रह्लाद बच गया. भगवान श्री विष्णु ने हिरण्यकश्यप को उसके ही निवास स्थान पर नरसिंह का रूप धारण करके मार डाला. ये सभी घटनाएं होलाष्टक के समय हुई थीं. इसलिए होलाष्टक को अशुभ माना जाता है.

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फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर होली तक के समय को होलाष्टक माना जाता है. इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू हो रहा है और 7 मार्च तक रहेगा. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. हालांकि अगर आप इस समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हैं तो यह आपके लिए शुभ रहेगा.

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. यह पर्व हमें सभी बुराइयों को खत्म करने का संदेश देता है और अच्छाई को जगाता है. होलिका दहन की आग में सभी बुराइयां जल जाती हैं और अगले दिन एक रंगीन त्योहार यानी होली का त्योहार रंगों के रुप में खेला जाता है.  

 

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