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हरतालिका तीज मुहूर्त : कब और कैसे करें हरतालिका तीज की पूजा, जानें संपूर्ण विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में अनेकों तीज त्यौहार आते है। सबका अपना अपना महत्व है। कुछ व्रत तो सिर्फ महिलाओं के लिए होते है। उनमें से एक हरितालिका तीज व्रत है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।भादो माह में हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। उस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं।
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माता पार्वती ने महादेव को पति के रूप में पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत किया था।हरितालिका तीज का व्रत महिलाएं और कुंवारी कन्याएं जरूर रखती है।पौराणिक ग्रंथों में जिस हरतालिका व्रत की अनंत महिमा बताई गई है उसे आज किस समय और किस विधि और नियम का पालन करते हुए करें, आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
किस समय करें हरतालिका तीज की पूजा
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया आज 30 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को दोपहर 3 : 33 मिनट तक है। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि को ही मान्यता दी गई है, इसलिए आज हरतालिका तीज का व्रत पूरे विधि-विधान से प्रदोष काल का मुहूर्त में सायंकाल 6 : 33 मिनट से रात्रि 8 : 51 मिनट के बीच पूजा करना अत्यंत ही शुभ रहेगा।
कैसे करें हरतालिका तीज की पूजा
सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेकर शिव और माता पार्वती का पूजा करें। इस पूजा को विधिवत् शाम में करते है। शाम में महिलाएं हो या कुंवारी कन्याएं दोनों ही स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है। फिर अपने घर के पूजा स्थल की सफाई करके एक चौकी पर लाल या पीला चुनरी बिछाकर माता पार्वती और महादेव की प्रतिमा को स्थापित करें।इसके बाद एक कलश के ऊपर नारियल रखकर सबसे पहले उसकी पूजा करें। फिर कलश और शिव–पार्वती तीनों को एक–एक करके पुष्प, शमीपत्र, बेलपत्र, रोली, चंदन, मौली आदि अर्पित करें।
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पूजा में शिव और पार्वती को पांच फूल से बना फुलेरा और माता पार्वती को सुहाग से जुड़ी सारी वस्तुएं जरूर चढ़ाएं।इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को फल एवं मिष्ठान आदि का भोग लगाएंं।इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ें और अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।अगले दिन स्नान-ध्यान करके शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद उनकी मूर्ति को किसी पवित्र जल में विसर्जन करने के बाद व्रत का पारण करें। बहुत लोग मूर्ति को विसर्जित नहीं करते है वो अपने घर के पूजा स्थल पर ही रख देते है।
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