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Hariyali Teej 2023 Date: हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, जानें इसका महत्व

my jyotish expert Updated 21 Jul 2023 01:43 PM IST
Hariyali Teej 2023 Date: हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, जानें इसका महत्व
Hariyali Teej 2023 Date: हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, जानें इसका महत्व - फोटो : google
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हरियाली तीज को सावन के मास के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है. यह तीज पर्व एक बेहद महत्वपूर्ण दिवस होता है महिलाओं के लिए. इस पर्व में वह अपने दांपत्य जीवन के सुखों की कामना करती हैं तथा देवी की भक्ति भाव से पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं में इस दिन को बेहद ही विशेष बताया गया है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. महिलाएं अक्सर इस त्यौहार को अपने निवास स्थान पर अपनी सखी-सहेलियों के साथ मनाती हैं. 

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हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दौरान में मनाई जाती है. इस साल हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी इस दिन को श्रावणी तीज भी कहा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.  

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माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे अपने सुखी जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं. कुछ जगहों पर कुंवारी लड़कियां भीांपने मनपसंद साथी को पाने के लिए व्रत रखती हैं. हरियाली तीज के दिन महिलाएं पेड़ पर झूला डालती हैं और सावन के लोक गीत गाकर इस त्योहार की खुशियां मनाती हैं. इस दिन हरे रंग का बहुत महत्व होता है इसलिए इस दिन हरी साड़ी के साथ हरी चूड़ियां पहनने का रिवाज है. आइए जानते हैं हिरियाली तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा.आइए जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी खास बातें और इसके महत्व के बारे में 

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हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज क अपर्व मान्यताओं के अनुसार अलग अलग स्थानों पर अलग रुप में भी दिखाई दे सकता है. इस दिन कुछ जगहों पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं तो कुछ जगहों पर महिलाएं फल खाकर इस व्रत को करती हैं. इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं. सोलह श्रृंगार करती हैं. इस दिन हरे रंग को विशेष रुप से धारण भी किया जाता है. महिलाएं सिर से पैर तक अपने  श्रृंगार में इस रंग को शामिल करती हैं. भक्ति भाव के साथ इस दिन को मनाती हैं.

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हिरयाली तीज का महत्व
मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने महादेव को पति के रूप में पाने के लिए किया था. इस व्रत को करने से पति की दीर्घायु के साथ-साथ संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी होती है. इस व्रत को करने से स्त्रियों को शिव-पार्वती के समान अक्षय सुख की प्राप्ति होती है.

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