रुद्राभिषेक के शुभ फल :-
शिव का निवास स्थान है काशी
"काशी" शब्द का शाब्दिक अर्थ है प्रकाशमान होना, काशी किंवदंती से भी पुराना है। कोई भी इस जगह की तारीख को कभी नहीं समझ सकता। जब एथेंस के बारे में सोचा भी नहीं गया था, तब काशी था। जब लोगों के मन में रोम का वजूद भी नहीं था, तब काशी थी। जब मिस्र नहीं था तब काशी था।
हिंदुओं का मानना है कि यहां मरने और पवित्र गंगा नदी के किनारे दाह संस्कार करने से व्यक्ति पुनर्जन्म के चक्र को तोड़कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है, जिससे यह तीर्थयात्रा का एक प्रमुख केंद्र है।
यह शहर अपने कई घाटों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, नदी के किनारे पत्थर के स्लैब के चरणों में बने तटबंध जहां तीर्थयात्री अनुष्ठान करते हैं। विशेष रूप से ध्यान देने योग्य दशाश्वमेध घाट, पंचगंगा घाट, मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट हैं, अंतिम दो ऐसे स्थान हैं जहां हिंदू अपने मृतकों का अंतिम संस्कार करते हैं।
सावन में महत्वपूर्ण है काशी में पूजन :
मान्यता है की सावन माह में रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसके सभी कष्ट दूर हो जातें है और उसके दुःख , सुख में परिवर्तित हो जातें है। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रलयकाल में भी काशी को कोई नुकसान नहीं पहुँच सकता है। इसका स्थान अंत से अनादि काल तक है। इस स्थान एवं यहाँ उपासना करने वाले भक्तों की रक्षा स्वयं भोलेनाथ करतें है। यदि कोई व्यक्ति बहुत व्यथित हो तो उसे अपने जीवन में सुख प्राप्ति हेतु काशी में रुद्राभिषेक अवश्य करवाना चाहिए।
हमारी सेवाएं :
हमारे पंडित जी द्वारा अनुष्ठान से पूर्व संकल्प करवाया जाएगा। साथ ही पूर्ण विधि - विधान से महादेव का पूजनकर रुद्राभिषेक संपन्न किया जाएगा।
प्रसाद :
• सूखा भोग
• बाबा का भस्म
• काला धागा ( हाथ में बांधने हेतु )
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