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Hanuman Ji: मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न, इस दिन बन रहा है सौभाग्य योग

Myjyotish Expert Updated 22 Nov 2022 03:59 PM IST
Hanuman Ji: मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न, इस दिन बन रहा है सौभाग्य योग
Hanuman Ji: मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न, इस दिन बन रहा है सौभाग्य योग - फोटो : google
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Hanuman Ji: मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी को प्रसन्न, इस दिन बन रहा है सौभाग्य योग


हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार का दिन विशेष है. इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है. पंचांग के अनुसार 22 नवंबर 2022, मंगलवार का दिन हनुमान भक्तों के लिए विशेष है. इस दिन मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी है. त्रयोदशी की तिथि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार माने गए हैं. इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष संयोग बना हुआ है. पंचांग के अनुसार मंगलवार को सौभाग्य योग भी बन रहा है, जो शाम 6 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. 

राम नाम भक्ति की महिमा का गुणगान करता है। सबसे बड़े भक्त बलशाली हनुमान जी भी इसी नाम का हर पल गुणगान किया करते हैं। इसी नाम की ध्वनि से वो खुश होते हैं।  तो यदि आप भी दिन के कुछ समय में  श्री राम के नाम का जाप करते है तो यकीन मानिए महाबली हनुमान आपसे जरूर प्रसन्न होंगे । ये केवल एक नाम नहीं है भक्त की भक्ति है राम नाम, वीर की शक्ति है राम नाम, हनुमान जी का बल है राम नाम।

इस दिन हनुमान जी की कृपा पाने के लिए क्या कर सकते हैं आइए हम आपको बताते  हैं-

हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa Hindi)

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

हनुमान जी की आरती (Mangalwar Aarti)

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर कांपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झांके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज संवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
 

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