जानें हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए
हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा काफी खास है। इसमें हनुमान जी की स्तुति की जाती है। बजरंगबली के भक्त हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करते हैं। साथ ही कुछ लोग मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमानजी के भक्त पूरी श्रद्धा भाव से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं परन्तु हनुमान चालीसा को पढ़ने के सही तरीके की जानकारी न होने के कारण कई बार वह अनजाने में त्रुटियां कर जाते हैं। कही आप भी तो हनुमान चालीसा के पाठ में नहीं कर रहे हैं अनजाने में त्रुटियां इस बात को जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि आज हम आपको इसमें हनुमान चालीसा को पढ़ने का क्या सही तरीका है वह बताएंगे
बजरंगबली की पूजा में काफी सावधानियां बरती जाती है क्योंकि उनकी पूजा में किसी भी प्रकार की लापरवाही वह मान्य नहीं करते हैं। इसलिए जब भी हनुमान चालीसा का पाठ करें तो एक निर्धारित समय पर करें ऐसा नहीं कि आपका जब मन चाहे जब पाठ करने बैठ जाए। हनुमान चालीसा का पाठ आप जिस भी जगह पर कर रहे हैं जैसे कि मंदिर या अपने घर के पूजा स्थल में या किसी तीर्थ क्षेत्र में तो पहले उस स्थान की साफ सफाई और पवित्रता पर अवश्य ध्यान दें।
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दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय। यह दोहा उन लोगों के लिए बिल्कुल उचित है जो हनुमान चालीसा का पाठ जब उन पर कोई संकट आता है तब करते हैं और उसके बाद जब संकट टल जाता है तो पाठ नहीं करते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए आपको हनुमान चालीसा का पाठ सुख और दुख दोनों ही समय में करना चाहिए। बजरंगबली तो अपने भक्तों के संकट हरने वाले हैं इसलिए उन्हें संकट मोचन भी कहते हैं। यदि आप नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे तो स्वतः ही आप पर कोई दुख, विपत्ति या बाधा नहीं आएगी।
जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठे तो ध्यान रखें सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति को पवित्र गंगाजल से शुद्ध कर लें और उसके बाद उन्हें तुलसी की माला या जनेऊ पहनाकर उनका मनपसंद भोग अर्पित कर पूरे भक्तिभाव से श्री राम जी और हनुमान जी का आह्वान करके ही पाठ आरंभ करना चाहिए। यदि आपके पास यह सामग्री मौजूद नहीं है तो आप भगवान को शब्द सुमन भी अर्पित कर सकते है। भगवान तो भक्तों की श्रद्धा देखते हैं। यदि आपके मन में पूरी श्रद्धा होगी तो आपके शब्द सुमन भी साक्षात तुलसी की माला, जनेऊ और भोग का कार्य करेंगे।
जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठे तो ध्यान रखें आपके स्वर ना ज्यादा ऊंचे हो और ना ज्यादा नीचे हो, मध्यम स्वर में हनुमान चालीसा का शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। कई लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते समय उसमे लिखे दोहे नहीं पढ़ते है। यह बिल्कुल गलत आदत है दोहे भी हनुमान चालीसा का हिस्सा हैं यदि आप दोहे छोड़ देते हैं तो ऐसे में आप अधूरी हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। इसलिए दोहों के साथ सम्पूर्ण हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
कहते हैं कि प्रतिदिन कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का 40 दिन तक लगातार पाठ करने के बाद हनुमानजी की लंगोट जरूर भेंट करें।
बजरंगबली ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं ऐसे में उनकी पूजा के दौरान पूजा करने वालों को भी ब्रह्मचर्य, पवित्रता, शुद्धता और साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। कहते हैं कि महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी है। परंतु यदि कोई महिला हनुमान जी की पूजा करती हैं या हनुमान चालीसा का पाठ कर रही है तो वह इस बात का ध्यान रखें कि वह हनुमान जी की प्रतिमा को न छुएँ।
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हनुमान चालीसा में पंक्ति आती है ‘तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा’ यहाँ पर कई लोग अपने नाम का उच्चारण नहीं करते हैं बल्कि तुलसीदास जी का ही नाम लेते है। यह बिल्कुल गलत है यहाँ पर अपने नाम का उच्चारण करें अन्यथा आपको हनुमान चालीसा के पाठ का लाभ प्राप्त नहीं होगा।
हिन्दू धर्म मे हर पूजा से पहले दीप प्रज्वलित किया जाता है। इसी प्रकार हनुमान चालीसा के पाठ से पहले भी दीप प्रज्वलित करें। इसमें लाल सूत की बाती और चमेली या फिर शुद्ध देसी घी का प्रयोग करें।
हनुमान जी की मूर्ति को हमेशा लकड़ी के पाट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करना चाहिए और पूजा करने वालों को स्वयं कुश के आसन पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ या पूजा करनी चाहिए।
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