Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक जयंती पर गुरु के उपदेशों से हमें सफलता अवश्य मिलेगी.
कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है जिसे गुरु नानक देव जी की जयंती के रुप में देश भर में उत्साह एवं विश्वास के साथ मनाया जाता रहा है. गुरु नानक का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था. गुरु नानक जयंती का पवित्र त्योहार, जिसे गुरुपुरब, प्रकाश पर्व और प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है,
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यह सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है और दस सिख गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती का प्रतीक है. इस त्योहार को दुनिया भर में सिखों द्वारा अत्यंत प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
गुरु नानक जी के जीवन से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं. जानिए ऐसा ही एक किस्सा, जिसमें नानक जी ने बुरी आदत को छोड़ने का तरीका बताया है.
गुरु नानक जी यात्रा किया करते थे और जहां वे रहते थे, उनकी शिक्षाओं को सुनने के लिए बहुत से लोग आते थे. नानक जी एक गाँव में ठहरे हुए थे, जहाँ प्रतिदिन एक डकैत उनका प्रवचन सुनने के लिए आने लगा. वह नानक जी की बात बहुत ध्यान से सुनता था. एक दिन वह अकेले गुरु नानक के पास गया और अपने बारे में बताया कि मैं डकैत हूं. मैं आपका उपदेश सुन रहा हूं. मैं गलत काम छोड़ना चाहता हूं, आप मुझे बताएं कि यह कैसे होगा?
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नानक जी ने कहा कि ऐसा करने का एक ही तरीका है, आपको खुद सोचना होगा और ये बुरी आदतें दूर हो जाएंगी. बार-बार सोचना कि मुझे बुराई को छोड़ना है, अगर बुराई को छोड़ना है तो यह आदत छूट जाएगी. गुरु नानक की बात सुनकर लुटेरा उस समय चला गया, लेकिन कुछ दिनों के बाद वह वापस आया और कहा कि मेरी बुरी आदतें नहीं जा रही हैं.
गुरु नानक ने कहा कि अब से आप जब भी कोई बुरा काम करें तो रोज उस काम के बारे में किसी को बताना चाहिए. लुटेरे ने सोचा कि चलो ऐसा करके भी देखते हैं. वैसे भी यह बहुत ही साधारण सी बात है. कुछ दिनों बाद डाकू फिर नानक जी के पास पहुंचा. नानक जी ने उन्हें देखकर पूछा कि आपकी बुरी आदतें दूर हुई या नहीं. डाकू ने कहा कि तुमने जो तरीका बताया वह बहुत कठिन था.
हर रोज अपनी गलतियां दूसरों को बताना बहुत मुश्किल होता है. प्रतिदिन ऐसा करने से मेरे मन पर बोझ बढ़ने लगा. मैं अपने गलत कामों को दूसरों को बताने से तंग आ गया था, इसलिए मैंने संकल्प किया कि अब से मैं कभी भी गलत काम नहीं करूंगा. संकल्प लेने के बाद मैंने कोई गलत काम नहीं किया और मेरी बुरी आदतें चली गईं. इस कहानी की सीख मिलती है कि हमें बुरी आदतों को छोड़ने का दृढ़ निश्चय करना होगा, इच्छाशक्ति मजबूत नहीं होगी तो आदतें बिगड़ती ही रहेंगी.
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