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Gupt Navratri 2022: जाने गुप्त नवरात्रि में कौन सी दस महाविद्या का पूजन करने से दूर हो जाता है हर संकट

Myjyotish Expert Updated 29 Jun 2022 02:01 PM IST
जाने गुप्त नवरात्रि में कौन सी दस महाविद्या का पूजन करने से दूर हो जाता है हर संकट 
जाने गुप्त नवरात्रि में कौन सी दस महाविद्या का पूजन करने से दूर हो जाता है हर संकट  - फोटो : google
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जाने गुप्त नवरात्रि में कौन सी दस महाविद्या का पूजन करने से दूर हो जाता है हर संकट 


गुप्त नवरात्रि देवी की आराधना को समर्पित त्योहार है. गुप्त नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूप के अलावा, कुछ साधक दस महाविद्या के नाम से प्रसिद्ध देवी काली के 10 रूपों का पूजन इस गुप्त नवरात्रि के दोरान करते हैं. इन महाविद्याओं की पूजा करने से भक्तों को अनेकों की प्राप्ति होती है. आध्यात्मिक साधना सिद्धि के लिए यह गुप्त नवरात्रि एक महत्वपूर्ण अवसर होता है. इसी के साथ भक्तों के लिए नवरात्रि के नौ दिन अत्यंत शुभ होते हैं, क्योंकि देवी भक्तों पर दिव्य आशीर्वाद की वर्षा करती हैं और उनके मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करती हैं.

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कुछ साधक देवी दुर्गा के नौ रूप की पूजा करने के अलावा दस महाविद्या के रूप में प्रसिद्ध देवी काली के 10 रूपों का भी प्रचार करते हैं. दस महाविद्या की पूजा नकारात्मक प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए जानी जाती है. यह कामनाओं की पूर्ति के लिए भी की जा सकती है, जैसे कि अदालती मामलों में जीत हासिल करना, धन प्राप्ति के लिए, किसी भी तरह की बीमारी का इलाज करने के लिए, प्रतिद्वंद्वियों को हराने के लिए, भाग्य और धन लाने के लिए ,गरीबी को दूर करने के लिए और किसी भी प्रकार शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए भी किया जा सकता है. काले जादू एवं ग्रह दोषों की शांति भी महाविद्याओं की पूजा करने से पूरी होती है. 

चामुंडा तंत्र में हमें 10 महाविद्याओं के नाम मिलते हैं-

काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा।।
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिताः

महाविद्याओं की पहचान इस प्रकार है -

देवी काली - देवी काली शक्ति को "समय के भक्षक" रुप में ब्रह्म या सर्वोच्च स्वर के सार के रूप में पूजा जाता है. काली को कलिकुला प्रणालियों का देवता माना जाता है. इनकी पूजा द्वारा शत्रुओं का नाश होता है. 

देवी तारा - देवी तारा को मार्गदर्शक, रक्षक और उद्धारकर्ता के रूप में पूजा जाता है. देवी परम ज्ञान देती हैं और साधक को मोक्ष प्रदान करने में सहायक होती हैं. देवी तारा को नील सरस्वती भी कहा जाता है.

देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी -  ललिता त्रिपुर सुंदरी षोडशी के रूप में भी जानी जाती है, देवी तीन लोकों में सबसे सुंदर हैं. यह तांत्रिक पार्वती का स्वरुप हैं और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं. इनका पूजन रोगों को शांत करता है तथा शक्ति प्रदान करता है. 

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देवी भुवनेश्वरी - विश्व माता के रूप में देवी का संपूर्ण शरीर ब्रह्मांड स्वरुप है. 

देवी भैरवी - भयंकर योद्धा देवी हैं जो युद्ध क्षेत्र में विजय प्रदान करने का आशीर्वाद देती हैं. 

देवी छिन्नमस्तिका - स्वयंभू देवी, जो अपने हाथों में अपनी गर्दन रखती हैं ओर अपने योगिनी की प्यास को शांत करती हैं.

देवी धूमावती - देवी धूमावती का स्वरुप विधवा जैसा है इन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है.

देवी बगलामुखी - शत्रुओं का नाश करने वाली देवी बगलामुखी सभी संकट दूर करने वाली शक्ति हैं. 

देवी मातंगी - देवी ललिता को शक्ति एवं ज्ञान प्रदान करने वाली विद्या के रुप में पूजा जाता है. माता का आशीर्वाद साधक को साधन संपन्न बनाने वाला होता है. इनके पूजन से सभी प्रकार के कष्ट dUर होते हैं. 

देवी कमला - कमल की देवी लक्ष्मी का स्वरुप हैं देवी कमला. साधक को धन धान्य से परिपूर्ण कर देने वाली है. माता का पूजन सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाने वाला होता है. 

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