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Govardhan Puja 2022: जाने गोवर्धन पूजा विधि और क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा विस्तार से

Myjyotish Expert Updated 26 Oct 2022 09:44 PM IST
Govardhan Puja 2022: जाने गोवर्धन पूजा विधि और क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा विस्तार से
Govardhan Puja 2022: जाने गोवर्धन पूजा विधि और क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा विस्तार से - फोटो : google
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Govardhan Puja 2022: जाने गोवर्धन पूजा विधि और क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा विस्तार से 


दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान रहा है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोग तैयार किए जाते हैं, इसी दिन से अन्नकूट की परंपरा शुरू हुई और इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाकर श्री कृष्ण और गोवर्धन पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसर इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अभिमान को समाप्त किया था. 

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इस वर्ष गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को मनाई जानी चाहिए. अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष के लिए गोवर्धन पूजा मुहूर्त 26 अक्टूबर को सुबह 06:29 बजे से 08:43 बजे तक है. इस दिन, भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र को हराया था.

पूजन सामग्री विधि 
गोवर्धन पूजा समग्री में देवताओं को अर्पित की जाने वाली मिठाई, अगरबत्ती, फूल और ताजे फूलों से बनी माला, रोली, चावल और गाय के गोबर को शामिल किया जाता है. छप्पन भोग नामक 56 प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, और पंचामृत तैयार करने के लिए शहद, दही और चीनी का उपयोग किया जाता है.

गोवर्धन पूजा पर, भगवान कृष्ण को गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियों का भोग लगाया जाता है. दही, दूध, शहद, चीनी, मेवा और तुलसी से बना पंचामृत भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है और बाद में भक्तों को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. कई प्रकार की सब्जियों से तैयार अन्नकुट्टा सब्जी भी भगवान कृष्ण के लिए बनाई जाती है.

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गोवर्धन पूजा महत्व 

भारतीय लोक जीवन में गोवर्धन पर्व का बहुत महत्व है. इस पर्व में मनुष्य का प्रकृति से सीधा संबंध दिखाई देता है. इस त्योहार की अपनी मान्यता और लोककथा है. गोधन यानी गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा की जाती है इसके सतह ही गोवर्धन नामक पर्वत के दर्शन एवं परिक्रमा का विधान भी रहा है.

शास्त्रों में बताया गया है कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर सात दिनों तक उठाया और उसकी छाया में गोप और गोपिका खुशी से रहने लगे. सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर साल गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने का आदेश दिया. तभी से यह पर्व अन्नकूट के रूप में मनाया जाने लगा. 

गोवर्धन पूजा के दौरान, भगवान कृष्ण की पूजा करने से पहले सुबह तेल मालिश और स्नान करने की सलाह दी जाती है. भगवान की पूजा करने से पहले घर के बाहर भी गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है. इस पूजा के दिन घरों में गोवर्धन पर्वत का पूजन किया जाता है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत के साथ ही उसके आस-पास गाय और बछड़े आदि की आकृति बनाई जाती है. इस दिन पशुओं का पूजन भी किया जाता
 

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