Gopashtami 2022: क्यों मनाते हैं गोपाष्टमी जानिए, कथा और शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गो अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसे गोपाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. गोपाष्टमी के दिन गायों और गायों की रक्षा, उनके पूजन और सेवा करने का संकल्प लेकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
नवंबर को गोपाष्टमी का पर्व संपन्न होगा. त्योहारों से भरा रहा है. प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर देश भर में गायों का पूजन होता है. गाय और भगवान की पूजा करने की परंपरा है सनातन धर्म में प्राचीन काल से चली आ रही है.
गोपाष्टमी पूजन
गाय को बहुत ही पूजनीय माना गया है. कहा जाता है कि गाय में हिंदू धर्म के सभी 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं. इस दिन गाय की पूजा और सेवा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं, साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है.
गोपाष्टमी के दिन गायों और गायों की रक्षा, संवर्धन और सेवा करने का संकल्प लेकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार को मनाने की शुरुआत कैसे हुई? तो आइए जानते हैं इसकी पौराणिक कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
शुभ मुहूर्त
गोपाष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि में मनाया जाता है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर से होगी तथा अष्टमी तिथि की समाप्ति 01 नवंबर 2022 रात 11:04 बजे पर होगी. इस दिन भद्रा दोपहर में समाप्त होगी. गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर गाय और बछड़ों को स्नान आदि कराया जाता है. इसके बाद गाय माता को हाथों से मेहंदी, हल्दी, रोली लगाई जाती है. उसके बाद गाय की पूजा धूप, दीपक, सुगंध, फूल, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र आदि से की जाती है. अंत में गायों की पूजा की जाती है और उन्हें चारा खिलाया जाता है.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गाय की पूजा करने के बाद उसके चारों ओर घूमना चाहिए और कुछ दूरी तक उसके साथ चलना चाहिए. इसके बाद माथे पर गौमाता का चरण राज लगाना चाहिए. ऐसा करने से सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है, साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है.
गोपाष्टमी पर्व कथा
श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने छह वर्ष की आयु में कदम रखते हुए माता यशोदा को गाय के साथ खेलने एवं उनकी देखभाल करने की इच्छा व्यक्त की तो उन्होंने कहा कि इस पर माता यशोदा ने उन्हें समझाया कि जब शुभ मुहूर्त आएगा तो मैं तुम्हें गोपाल जरूर बनाऊंगी. उसी समय ऋषि शांडिल्य वहां पहुंचे और उन्होंने श्रीकृष्ण का भविष्य देखकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गौ-चरण किया. तभी से गोपाष्टमी का उत्सव आज भी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है.
ये भी पढ़ें
- Vastu Tips : वास्तु के अनुसार घर में इस पौधे को लगाते ही हो जायेंगे मालामाल
- Jyotish Remedies: भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित न करें ये चीजें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Jyotish Remedies: चंद्रमा का असर क्यों बनाता है मेष राशि को बोल्ड
- सिंह राशि के लिए साल 2022 रहेगा सफलता से भरपूर, पढ़े क्या होगा ख़ास
- जानिए कैसे बुध का गोचर व्यक्ति के लिए प्रभावी