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Gemology: ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकता है यह एक रत्न, जानिए इसके लाभ

MyJyotish Expert Updated 26 Jan 2023 04:48 PM IST
ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकता है यह एक रत्न, जानिए इसके लाभ
ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकता है यह एक रत्न, जानिए इसके लाभ - फोटो : google

खास बातें

Gemology: ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकता है यह एक रत्न, जानिए इसके लाभ 
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ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकता है यह एक रत्न, जानिए इसके लाभ 


ज्योतिष शास्त्र में रत्न शास्त्र का उल्लेख मिलता है लेकिन रत्नों का चयन बहुत सोच-समझकर करने पर विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है. रत्न सिर्फ सुंदरता बढ़ाने का साधन नहीं होते, बल्कि इनमें अलौकिक शक्ति समाहित होती है. इसके साथ ही रत्नों में मानव जीवन को सुखी और आनंदमय बनाने की भी अद्वितीय क्षमता होती है. आज हम एक ऐसे रत्न के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के साथ है.

इन ग्रहों से संबंधित यह रत्न है लाजवर्त. रत्न शास्त्र में इस रत्न का संबंध तीनों ग्रहों से बताया गया है. लाजवर्त धारण करने से स्मरण शक्ति का विकास होता है. साथ ही एकाग्रता भी बढ़ती है. ये रत्न ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाने में भी बहुत सहायक होता है. 
आइये जानते हैं इस रत्न से संबंधित लाभों के बारे में : - 

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लाजवर्त रत्न का प्रभाव 
शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाजवर्त रत्न धारण करने से ही आप इन तीनों ग्रहों से शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं. इस एक रत्न को धारण करने से शनि, राहु और केतु तीनों होते हैं बलवान  

इसके साथ ही इन ग्रहों का शुभ प्रभाव भी प्राप्त होता है. लापीस लाजुली का रंग गहरा नीला होता है. इसमें हल्की नीली धारियां भी नजर आ रही हैं. इसका रंग मोर की गर्दन के नीले रंग के समान होता है. मान्यता है कि इसे धारण करने से शनि, राहु, केतु तीनों ग्रह बली होते हैं. यह रत्न दुनिया भर में कई जगहों पर पाया जाता है.

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

लाजवर्त धारण करने के लाभ :
ज्योतिष के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि शुभ होता है वे लाजवर्त धारण कर सकते हैं. इसके साथ ही मकर और कुम्भ राशि के जातक लाजवर्त धारण कर सकते हैं. वहीं यदि कुंडली में राहु-केतु शुभ हों तो भी लाजवर्त धारण किया जा सकता है.इस रत्न को धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है. दिमाग शांत रहता है. साथ ही मन में स्पष्टता आती है. यहीं से प्रयास का विकास होता है. इसके साथ ही शिक्षण कार्य से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह रत्न उनकी क्षमताओं में वृद्धि करता है और वे अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगाते हैं.

इस रत्न के प्रयोग से एकाग्रता बढ़ती है. चीजों को याद रखने की आदत बढ़ती है. मनोविज्ञान से जुड़े कार्यों में भी यह लाभकारी है. साथ ही इस रत्न का प्रयोग उन छात्रों के कमरे में करना बेहतर होता है जो पढ़ाई में कमजोर होते हैं. यह रत्न बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने वाला कारक है. साथ ही कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए भी इस रत्न का प्रयोग किया जाता है. इस रत्न को धारण करने से पितृ दोष शांत होता है.

 

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