myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Gangaur 2022: The custom of this fast, associated with Lord Shiva and Mother Parvati, read.

Gangaur 2022: भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ी, इस व्रत की प्रथा, पढ़ें।

Myjyotish Expert Updated 04 Apr 2022 06:28 PM IST
भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ी, इस व्रत की प्रथा, पढ़ें। 
भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ी, इस व्रत की प्रथा, पढ़ें।  - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन

भगवान शिव व माता पार्वती से जुड़ी, इस व्रत की प्रथा, पढ़ें। 


गणगौर का पावन व्रत सुहागिनों के लिए काफी स्पेशल होता है। मान्यता है कि इस व्रत को पत्नियां अपने पति से छिपकर रखती हैं। गणगौर व्रत में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है। 

हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत हैं जो अखंड सौभाग्य व परिवार की मंगल कामना के लिए रखे जाते हैं। अखंड सौभाग्य का प्रतीक गणगौर व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्योहार मनाया जाता है। इस साल गणगौर तीज 4 अप्रैल, सोमवार को है।

अष्टमी पर माता वैष्णों को चढ़ाएं भेंट, प्रसाद पूरी होगी हर मुराद 

गणगौर तीज शुभ मुहूर्त-

तृतीया तिथि 3 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी, जो कि 4 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार इस व्रत को 4 अप्रैल सोमवार को रखा जाएगा।

गणगौर महत्व-

गणगौर पूजन में मां पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है। गण का अर्थ शिव और गौर का अर्थ माता पार्वती है। शास्त्रों के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की थी। उसी तप के प्रभाव से भगवान शिव को उन्होंने पति रूप में पाया था। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता पार्वती ने समस्त स्त्री जाति को अखंड सौभाग्य का वरदान दिया था। मान्यता है कि तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई।

इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन। 

गणगौर व्रत पूजा विधि-

गणगौर होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक यानी 17 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता गवरजा (मां पार्वती) होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद भगवान शिव (इसर जी) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। फिर चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। होली के दूसरे दिन यानी कि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं मिट्टी के शिव जी यानी की गण एवं माता पार्वती यानी की गौर बनाकर प्रतिदिन पूजन करती हैं। इन 17 दिनों में महिलाएं रोज सुबह उठ कर दूब और फूल चुन कर लाती हैं। उन दूबों से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती हैं। फिर चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं। दूसरे दिन यानी कि चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को शाम के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। गणगौरों के पूजा स्थल गणगौर का पीहर और विसर्जन स्थल ससुराल माना जाता है। विसर्जन के दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार करती हैं और दोपहर तक व्रत रखती हैं।

अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।

अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।
 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X