बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। बुद्ध जयंती खासकर पूर्वी एशिया में मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 26 मई, 2021 को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आइए भारत में बौद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा पर एक नजर डालते हैं।
- बोध गया, बिहार-
इसे चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। आपको बताएं कि यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी घोषित है। इसके अंदर महाबोधि मंदिर परिसर में कई पवित्र स्थल हैं जैसे- वज्रासन या डायमंड सिंहासन। यहां पर एक 80 फुट की बुद्ध की प्रतिमा महाबोधि स्तूप और एक कमल का तालाब भी है। इसमें एक बोधि वृक्ष भी है। जिसके नीचे राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ था और वह गौतम बुद्ध बने। गौर करने की बात यह भी है कि इस जगह में भारतीय बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों जैसे भूटानी, ताईवानी,बांग्लादेशी थाई और तिब्बती से संबंधित मठ भी शामिल हैं।
- सारनाथ, उत्तर प्रदेश-
यह स्थान उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित है। सारनाथ में मंदिर परिसर वह पवित्र स्थान है,जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। उन्होंने यहां पर धम्म की शिक्षा दी थी और यहां एक मठवासी समुदाय संघ का गठन भी किया था। यह स्थल धमेक स्तूप (128 फीट) ऊंचा है। इसे अशोक स्तंभ रूप के अवशेष के प्रसिद्ध स्तूपों के लिए जाना जाता है।
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- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
कुशीनगर बौद्धों के लिए एक और पवित्र तीर्थ स्थल है। क्योंकि यह वह स्थान है। जहाँ बुद्ध ने मृत्यु के बाद महापरिनिर्वाण या निर्वाण प्राप्त किया था। इस जगह में महापरिनिर्वाण मंदिर भी शामिल है। जिसमें 5 वीं शताब्दी में खुदी हुई बुद्ध या 'मरने वाले बुद्ध' की मूर्ति है। इसका 20 फीट से अधिक लंबा होने का अनुमान है।
- श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश
श्रावस्ती, एक प्राचीन शहर, एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है। क्योंकि बुद्ध ने अपना अधिकांश समय ज्ञानोदय के बाद यहीं बिताया था। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने कई चमत्कार किये थे। यह एक ऐसा स्थान था,जहाँ उनके ऊपरी शरीर से ज्वालाएँ निकलती थीं। और निचले शरीर में पानी।
- राजगीर, बिहार
राजगीर पाटलिपुत्र से पहले मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। यह अपने गर्म झरनों के लिए भी जानी जाती है। यह एक बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है,क्योंकि यह वह स्थान था जहाँ बुद्ध वर्षा के मौसम में रहा करते थे। उन्होंने यहां पर महत्वपूर्ण उपदेश भी दिए हैं। इस स्थान में सप्तपर्णी की एक बौद्ध गुफा भी शामिल है। जहां उनकी मृत्यु के बाद पहली बौद्ध परिषद आयोजित की गई थी।
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