इस तीज विवाह से जुड़ी हर समस्या का होगा हल जानें इसका रहस्य
हरतालिका तीज के समय को वैवाहिक जीवन की खुशहाल स्थिति के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है. वर्ष भर आपने वाली सभी तीज पर्व को महिलाओं द्वारा जीवन के सुख एवं परिवार की समृद्धि के लिए रखा जाता है. देश के कई हिस्सों में मनाई जाने वाली हरतालिका तीज उत्साह के साथ मनाई जाती है.
मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में मनाई जाने वाली इस त्योहार में विवाहित महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं. पति की लम्बी आयु और एक सुखी वैवाहिक जीवन की कामना हेतु स्त्रियां इस व्रत को निष्ठा श्रद्धा भाव के साथ करती हैं. .
पूजा का समय
हरियाली तीज और कजरी तीज के कुछ दिनों के बाद मनाई जाने वाली हरतालिका तीज शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन अर्थात तृतीया तिथि को मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार हरतालिका तीज मंगलवार को पड़ रही है. तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 15:20 बजे से शुरू होगी और 30 अगस्त को दोपहर 15:33 बजे तक चलेगी.तीज का शुभ मुहूर्त सुबह करीब 6:05 बजे से शुरू होकर 8:38 बजे तक चलेगा. इसके अलावा पूजा का समय शाम 6:33 बजे से रात 8:51 बजे तक होगा. इस बार हरतालिका प्रथम काल पूजा का मुहूर्त सुबह 5:58 बजे से शुरू होकर 30 अगस्त को सुबह 8:31 बजे तक चलेगा.
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दांपत्य जीवन में होता है सुख का आगमन
इस व्रत को दांपत्य जीवन के सुख लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता था कि इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी करने का प्रस्ताव स्वीकार किया था. इस प्रकार, इसे सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सबसे शुभ अवसरों में से एक माना जाता है. यदि विवाह जीवन में कोई भी परेशानी आ रही है तो उस समय तीज का व्रत रखना तथा देवी का पूजन करना जीवन में सुख को प्रदान करता है. इस व्रत के द्वारा दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है. कलह कलेश दूर हो जाते हैं
कथा एवं पूजन नियम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता था कि देवी पार्वती के पिता चाहते थे कि वह भगवान विष्णु से शादी करे, लेकिन वह भगवान शिव से शादी करना चाहती थी और इसलिए देवी ने अपनी सखी से उसका अपहरण करने और उसे घने जंगल में ले जाने का अनुरोध किया ताकि वह शादी से बचें और शिव को पाने का प्रयास करें. जंगल में रहने के दौरान उसने भगवान शिव की पूजा की और उसकी भक्ति को देखते हुए भगवान शिव ने उससे विवाह किया. यही कारण है कि ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है.
इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और दुल्हन की तरह तैयार होती हैं. भगवान शिव और देवी पार्वती की मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं और तपस्या करती हैं. उपवास सुबह जल्दी शुरू होता है जो अगली सुबह पूजा के बाद समाप्त होता है. विवाहित महिलाएं मंदिर में हरतालिका पूजा के लिए इकट्ठा होती हैं, जहां वे भगवान शिव और देवी पार्वती की निष्ठा भाव के साथ पूजा करती हैं.
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