Ekadashi shradh 2022: एकादशी श्राद्ध , जानें समय, महत्व, पूजा विधि
हिंदू धर्म में आश्विन मास की एकादशी का श्राद्ध विशेष महत्व रखता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस समय पर किया गया तर्पण कार्य पितरों को संतुष्टि प्रदान करने वाला होता है. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का श्राद्ध इन्दिरा एकादशी श्राद्ध से जाना जाता है.
इंदिरा एकादशी श्राद्ध उन लोगों के लिए तो होता ही है जिनकी एकादशी तिथि का समय श्राद्ध के लिए होता है इसके साथ ही सामान्य रुप से भी इस दिन अपने पितरों को याद करना शुभ होता है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी श्राद्ध पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला समय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पड़ने वाले एकादशी श्राद्ध के दिन कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. आप भी जानिए इंदिरा एकादशी श्राद्ध के नियम-
एकादशी श्राद्ध पूजा अनुष्ठान
एकादशी श्राद्ध के दिन श्राद्ध और तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इन्दिरा एकादशी श्राद्ध कहते हैं.
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पिंडदान और तर्पण आदि करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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एकादशी श्राद्ध पूजा विधि
श्राद्ध कर्म में पिंडदान, तर्पण को योग्य विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से ही किया जाना चाहिए. श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को पूरी भक्ति के साथ दान दिया जाता है, इसी के साथ गरीब, जरूरतमंदों को दान करना भी उत्तम होता है. इसके साथ ही भोजन का एक भाग पशु-पक्षियों जैसे गाय, कुत्ते, कौवे आदि के लिए अवश्य रखना चाहिए.
श्राद्ध कर्म के कार्य को पवित्र नदियों एवं धर्म स्थानों में करना भी शुभ होता है इसके लिए गंगा नदी के तट पर करना काफी प्रभावी होता है. अगर यह संभव नहीं है तो इसे घर पर भी किया जा सकता है. श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोज करना चाहिए. भोजन के बाद दान देकर उन्हें संतुष्ट करें. श्राद्ध पूजा दोपहर में शुरू करनी चाहिए.
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