myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Ekadashi Shradh 2022: Ekadashi Shradh, Know Time, Significance, Worship Method

Ekadashi shradh 2022: एकादशी श्राद्ध , जानें समय, महत्व, पूजा विधि

Myjyotish Expert Updated 24 Sep 2022 02:54 PM IST
Ekadashi shradh 2022: एकादशी श्राद्ध , जानें समय, महत्व, पूजा विधि
Ekadashi shradh 2022: एकादशी श्राद्ध , जानें समय, महत्व, पूजा विधि - फोटो : google
विज्ञापन
विज्ञापन

Ekadashi shradh 2022: एकादशी श्राद्ध , जानें समय, महत्व, पूजा विधि 


हिंदू धर्म में आश्विन मास की एकादशी का श्राद्ध विशेष महत्व रखता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस समय पर किया गया तर्पण कार्य पितरों को संतुष्टि प्रदान करने वाला होता है. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का श्राद्ध इन्दिरा एकादशी श्राद्ध से जाना जाता है.

इंदिरा एकादशी श्राद्ध उन लोगों के लिए तो होता ही है जिनकी एकादशी तिथि का समय श्राद्ध के लिए होता है इसके साथ ही सामान्य रुप से भी इस दिन अपने पितरों को याद करना शुभ होता है.

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी श्राद्ध पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला समय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पड़ने वाले एकादशी श्राद्ध के दिन कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. आप भी जानिए इंदिरा एकादशी श्राद्ध के नियम-

एकादशी श्राद्ध पूजा अनुष्ठान 
 एकादशी श्राद्ध के दिन श्राद्ध और तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इन्दिरा एकादशी श्राद्ध कहते हैं.

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पिंडदान और तर्पण आदि करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों 

एकादशी श्राद्ध पूजा विधि
श्राद्ध कर्म  में पिंडदान, तर्पण को योग्य विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से ही किया जाना चाहिए. श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को पूरी भक्ति के साथ दान दिया जाता है, इसी के साथ गरीब, जरूरतमंदों को दान करना भी उत्तम होता है. इसके साथ ही भोजन का एक भाग पशु-पक्षियों जैसे गाय, कुत्ते, कौवे आदि के लिए अवश्य रखना चाहिए.

श्राद्ध कर्म के कार्य को पवित्र नदियों एवं धर्म स्थानों में करना भी शुभ होता है इसके लिए गंगा नदी के तट पर करना काफी प्रभावी होता है. अगर यह संभव नहीं है तो इसे घर पर भी किया जा सकता है. श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोज करना चाहिए. भोजन के बाद दान देकर उन्हें संतुष्ट करें. श्राद्ध पूजा दोपहर में शुरू करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X