Ekadashi 2022: पापों से मुक्ति दिलाती है यह पापंकुशा एकादशी, जानें इसका महत्व
पापंकुशा एकादशी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. अपने नाम अनुरुप ही यह समस्त पापों का शमन करने वाली एकादशी कहलाती है. इस एकादशी का क्या महत्व है और क्यों इस एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है,
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साल भर में पड़ने वाली एकादशी का महत्व है और इसे एक अलग उद्देश्य के लिए मनाया जाता है. पापंकुशा एकादशी नाम से ही पता चलता है कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है.
पापकुंशा एकादशी तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल पापकुंशा एकादशी 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि का आरंभ 5 अक्टूबर दोपहर 12:01 से होगा यह अगले दिन 6 अक्टूबर 09:41 तक रहेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति मौन रहकर भगवद्गीता का पाठ करता है उसे बहुत लाभ मिलता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
पापकुंशा एकादशी का क्या महत्व है?
पुराणों में उल्लेख है कि पापकुंशा एकादशी क्या है, इसका महत्व श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था. यह एकादशी आपको पाप और पुण्य के बीच का अंतर समझाती है और भक्त को पाप से दूर रख कर उसे पुण्य के करीब ले जाती है. जो कोई भी इस एकादशी का व्रत करता है, उसके द्वारा पूर्व में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
पापकुंशा एकादशी व्रत की विधि
जो लोग इस दिन व्रत कर रहे हैं उन्हें इस विधि का पालन करना चाहिए. पापकुंशा एकादशी के दिन आपको गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और दाल जैसे अनाज को नहीं खाना चाहिए. इन सभी अनाजों की पूजा पापकुंशा एकादशी के दिन करनी चाहिए.
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सुबह उठकर स्नान करना है इसके पश्चात व्रत एवं पूजा का संकल्प धारण करना चाहिए. साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. फिर संकल्प पश्चात एकादशी की पूजा शुरू करनी चाहिए. इस व्रत के लिए आपको कलश की स्थापना करनी है और भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा करनी है. व्रत के दूसरे दिन ही आप भोजन कर सकते हैं.
पापकुंशा एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
अगर आपके मन में किसी के बारे में बुरे विचार हैं तो उसे त्याग दें.
इस दिन किसी पर क्रोध न करें और किसी से बहस भी न करें.
जितना हो सके चुप रहने की कोशिश करें क्योंकि इस व्रत में मौन रहन उत्तम होता है.
इस दिन कोई गलत काम नहीं करना है और चारों प्रहर में पूजा करनी है.
इस दिन पीली वस्तु का भी दान कर सकते हैं.
इतना ही नहीं इस दिन किसी बुजुर्ग की सेवा करके आप सभी प्रकार के पापों से मुक्ति भी पा सकते हैं.
इस दिन किसी भी विलासिता का भोग नहीं लगाना है. इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए.
एकादशी के दिन गंगा स्नान भी अवश्य करना चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करना चाहिए.
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