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Home ›   Blogs Hindi ›   Ekadash Vrat: Know from which Ekadashi to start the fast of Ekadashi 

Ekadash vrat:जानिये किस एकादशी से करें एकादशी के व्रत का आरंभ 

MyJyotish Expert Updated 17 Jun 2022 12:36 PM IST
जानिये किस एकादशी से करें एकादशी के व्रत का आरंभ 
जानिये किस एकादशी से करें एकादशी के व्रत का आरंभ  - फोटो : google
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जानिये किस एकादशी से करें एकादशी के व्रत का आरंभ 


हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि श्री विष्णु भगवान के पूजन हेतु अत्यंत शुभ तिथि होती है. यह तिथि प्रत्येक माह के दो पक्षों कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के दौरान आती है. इन दोनों चंद्र पक्षों का ग्यारहवां चंद्र दिन ही एकादशी कहलाता है. एकादशी के दिन अधिकांश हिंदू भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. एकादशी व्रत और समय उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं तथा वैष्णव संप्रदाय से जुड़े होते हैं. एकादशी के दिन, भक्त सख्त उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही अपना उपवास को पूर्ण किया जाता है. 

भक्त बिना पानी के या केवल पानी के साथ या केवल फलों के साथ उपवास क सकते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें अशुभ ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा, सुख का आशीर्वाद और मोक्ष प्राप्त होता है तथा मन की शांति प्राप्त होती है. कई बार एकादशी का व्रत लगातार दो दिन करने की सलाह दी जाती है, यह सलाह इस कारण से दी जाती है क्योंकि स्मार्त को परिवार के साथ पहले दिन ही उपवास रखना चाहिए तथा वैकल्पिक एकादशी उपवास, जो दूसरा है, जिसे संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष चाहने वालों के लिए सुझाया गया है. स्मार्त के लिए एकादशी उपवास, वैष्णव एकादशी उपवास के दिन के साथ मेल खाता है. 

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उत्पन्न एकादशी से करें एकादशी व्रत का आरंभ 

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और इसी एकादशी के दिन से एकाशी व्रत का आरंभ करना सबसे उत्तम माना गया है. जो भक्त  एकादशी का व्रत पूरे वर्ष करना चाहते हैं, उन्हें मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मूर नाम का एक राक्षस भगवान विष्णु को मारना चाहता था, तभी भगवान के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और मूर नाम के राक्षस का वध कर देती है. 

देवी के इस कार्य से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहते हैं कि आपका जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए आपका नाम उत्पन्ना एकादशी होगा. आज से प्रत्येक एकादशी पर मेरे साथ आपकी भी पूजा की जाएगी, इसलिए इस दिन से एकादशी की उत्पत्ति का समय व्रत के लिए अत्यंत शुभ होता है और इसी दिन से एकादशी व्रत का आरंभ होता है. 

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एकादशी व्रत मंत्र

विष्णु मंत्र: ऊं नमो भगवते वासुदेवाय:
कृष्ण महा-मंत्र: हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे

एकादशी व्रत महत्व 

एकादशी को एक दिन के रूप में माना जाता है, हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है.हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन साल में 24 बार आता है, कभी-कभी, एक लीप वर्ष में दो अतिरिक्त एकादशी भी आती हैं. प्रत्येक एकादशी के दिन विशिष्ट कार्यों को करने से विशिष्ट लाभ और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं. एकादशी का उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है. हिंदू और जैन धर्म में एकादशी को आध्यात्मिक दिन माना जाता है. 

इस दिन महिलाएं और पुरुष एकादशी का व्रत रखते हैं. एकादशी के दिन न तो कुछ खाया जाता है और न ही पानी का सेवन किया जाता है. इस दिन चावल नहीं खाए जाते हैं तथा दूध से बनी चीजों का सेवन किया जाता है तथा शुद्ध चित्त मन से किया गया यह व्रत समस्त पापों को समाप्त करता है ओर व्यक्ति के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.
 

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