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Dwadashi Shradh 2022: पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि का श्राद्ध क्यों कहलाता है सन्यासी श्राद्ध जानिए शुभ मुहूर्त

Myjyotish Expert Updated 22 Sep 2022 10:22 PM IST
Dwadashi Shradh 2022: पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि का श्राद्ध क्यों कहलाता है सन्यासी श्राद्ध जानिए शुभ
Dwadashi Shradh 2022: पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि का श्राद्ध क्यों कहलाता है सन्यासी श्राद्ध जानिए शुभ - फोटो : google
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Dwadashi Shradh 2022: पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि का श्राद्ध क्यों कहलाता है सन्यासी श्राद्ध जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

पितृ पक्ष द्वादशी तिथि का श्राद्ध विशेष समय होता है. इस श्राद्ध को सन्यासीना श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष की द्वादशी श्राद्ध 22 सितंबर को किया जाए. इस दिन उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि को हुई थी.

इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति सन्यासी रहा हो तो उसका श्राद्ध भी इस दिन पर किया जाता है. घर परिवार में कोई भी सन्यास धारण कर लेता है तो उसकी मृत्यु के पश्चात यह तिथि समय उनके श्राद्ध के लिए होती है. 

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भाद्रपद मास की पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक की अवधि पितृ पक्ष कहलाती है. इस समय पर प्रत्येक तिथि का श्राद्ध किसी न किसी रुप से विशेष होता है. इस बीच 22 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि का श्राद्ध होगा.. इसके साथ ही इस दिन इंदिरा एकादशी का पारण भी किया जाएगा. आइए जानते हैं कब है द्वादशी का श्राद्ध, क्या है शुभ मुहूर्त और क्या है इसकी विधि-

पितृ पक्ष 2022 द्वादशी श्राद्ध तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की द्वादशी श्राद्ध तिथि का समय 22 सितंबर गुरुवार को होगा. द्वादशी तिथि का आरंभ 21 सितंबर की रात 11 बजकर 34 मिनट से ही आरंभ हो जाएगा. द्वादशी तिथि का अंत 23 सितंबर को रात्रि 1:17 बजे होगा.

इस तिथि के दिन दुर्घटना इत्यादि में मृत लोगों का श्राद्ध भी किया जाएगा. श्राद्ध कार्य को करते समय शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है. द्वादशी के दिन किय अजाने वाला श्राद्ध विशेष होता है अत: इस समय पर नियमों क अपन करते हुए किया गया तर्पण पूर्वजों को शांति एवं उत्तम गति प्रदान करता है. 

पितृ पक्ष 2022 द्वादशी श्राद्ध मुहूर्त
पितृ पक्ष की द्वादशी को कुटुप, अपर्णा इत्यादि मुहूर्त में श्राद्ध करना शुभ माना जाता है। ऐसे में कुतुप मुहूर्त की शुरुआत 22 सितंबर को सुबह 11.49 बजे से 12.38 बजे तक है. रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:38 बजे से दोपहर 1:27 बजे तक है। वहीं दोपहर का मुहूर्त दोपहर 1:27 बजे से 3:52 बजे तक है. द्वादशी श्राद्ध का समय द्वादशी व्रत का भी होता है. इस दिन द्वादशी तिथि का व्रत बःई होगा जो भगवान श्री विष्णु के निमित्त किया जाएगा. 

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द्वादशी श्राद्ध का महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, द्वादशी श्राद्ध उन मृत परिवार के सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि को हुई थी. इस दिन श्राद्ध शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की द्वादशी तिथि को किया जा सकता है. इसके अलावा जो लोग मृत्यु से पहले सन्यास लेते हैं, उनके श्राद्ध के लिए द्वादशी तिथि उपयुक्त मानी जाती है. द्वादशी श्राद्ध को बरस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.
 

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