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Home ›   Blogs Hindi ›   Dussehra 2022: Why is Dussehra called Abujh Muhurta? Know the special significance of this day

Dussehra 2022: दशहरा क्यों कहलाता है अबूझ मुहूर्त ? जानें इस दिन का विशेष महत्व

Myjyotish Expert Updated 05 Oct 2022 11:08 AM IST
Dussehra 2022: दशहरा क्यों कहलाता है अबूझ मुहूर्त ? जानें इस दिन का विशेष महत्व
Dussehra 2022: दशहरा क्यों कहलाता है अबूझ मुहूर्त ? जानें इस दिन का विशेष महत्व - फोटो : google
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Dussehra 2022: दशहरा क्यों कहलाता है अबूझ मुहूर्त ? जानें इस दिन का विशेष महत्व  


दशहरा का पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसलिए इस दशमी को 'विजय दशमी' के नाम से जाना जाता है. इस साल दशहरा पर्व 5 अक्टूबर बुधवार के दिन को मनाया जाएगा. दशहरा वर्ष की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है, जिसके कारण इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है.

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दशहरा एक अबूझ मुहूर्त है
दशहरा एक अबूझ मुहूर्त है, यानी इसमें मुहूर्त देखे बिना भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की भी मान्यता है. कहा जाता है कि इस दिन जिस काम की शुरुआत की जाती है, वह जीत की ओर ले जाता है. दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सरा, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को त्यागने की प्रेरणा देता है.

विजयादशमी के दिन भगवान श्री राम की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. दशमी तिथि 4 अक्टूबर को दोपहर 2.20 बजे से 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी. श्रवण नक्षत्र 4 अक्टूबर को रात 10.51 बजे से 5 अक्टूबर की रात 9.15 बजे तक रहेगा. विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7.44 बजे से 9.13 बजे तक रहेगा. वह सुबह 10.41 बजे से दोपहर 2.09 बजे तक. इसमें भी विजय मुहूर्त दोपहर 2.07 से 2.54 बजे तक रहेगा. हालांकि दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक राहु काल रहेगा. राहु काल में किया गया कार्य शुभ फल नहीं देता है इसलिए राहु काल में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.

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किसानों के लिए महत्वपूर्ण
किसानों के लिए भी यह पर्व महत्वपूर्ण है. भारत कृषी प्रधान देश है. किसान जब अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज का धन घर लाता है, तो उसके उल्लास और उमंग की कोई सीमा नहीं होती है और इस खुशी के अवसर पर वह भगवान की कृपा को स्वीकार करता है और उसे प्रकट करने के लिए उसकी पूजा करता है.

विभिन्न स्थानों पर दशहरा के विभिन्न रंग 
दशहरा के अनुष्ठान, में उत्तर भारत में, विजया दशमी को रामलीला के रूप में मनाया जाता है. इस दिन दर्शकों की भारी भीड़ के सामने विशाल मेलों में रावण, भाई कुंभकर्ण और उसके पुत्र मेघनाथ के बड़े पुतले जलाए जाते हैं. ये पुतले विभिन्न प्रकार के पटाखों से भरे हुए हैं और इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय कैसे प्राप्त की, इसकी कहानी को दर्शाते हुए रंगशालाओं का आयोजन भी किया जाता है.

दक्षिणी भारत में, यह दिन गोलू के अंत का प्रतीक है, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में मनाया जाने वाला त्योहार. इस चरण के दौरान देवी दुर्गा की पूजा देवी चामुंडेश्वरी के रूप में की जाती है.

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