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Durga Puja in West Bengal: जानें क्यों है बंगाल में दुर्गा पूजा का अलग महत्व

Myjyotish Expert Updated 05 Oct 2022 11:06 AM IST
Durga Puja in West Bengal: जानें क्यों है बंगाल में दुर्गा पूजा का अलग महत्व
Durga Puja in West Bengal: जानें क्यों है बंगाल में दुर्गा पूजा का अलग महत्व - फोटो : google
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Durga Puja in West Bengal: जानें क्यों है बंगाल में दुर्गा पूजा का अलग महत्व


नवरात्रि का त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. वहीं दुर्गा पूजा के नाम से सबसे पहला खयाल बंगाल का आता है. यहां दुर्गा पूजा खास अंदाज में की जाती है. आज दुर्गा अष्टमी है. इन दिन बहुत से लोग कन्याओं को भोजन कराते हैं.

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देशभर में 9 दिनों तक नवरात्रि की रौनक देखने को मिलती है. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है. इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है. आइए जानें किस खास अंदाज में बंगाल में दुर्गा पूजा की जाती है.

बंगाल में दुर्गा पूजा का इतिहास : 
दुर्गा पूजा की ख्याति ब्रिटिश राज में बंगाल और भूतपूर्व असम में धीरे-धीरे बढ़ी। हिन्दू सुधारकों ने दुर्गा को भारत में पहचान दिलाई और इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों का प्रतीक भी बनाया। दिसम्बर २०२१ में कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को की अगोचर सांस्कृतिक धरोहर की सूची में सम्मिलित किया गया।

पहली बार दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर कई दूसरी कहानियां भी कही जाती हैं. कहा जाता है कि पहली बार 9वीं सदी में बंगाल के एक युवक ने इसकी शुरुआत की थी. बंगाल के रघुनंदन भट्टाचार्य नाम के एक विद्वान के पहली बार दुर्गा पूजा आयोजित करने का जिक्र भी मिलता है. एक दूसरी कहानी के मुताबिक बंगाल में पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन कुल्लक भट्ट नाम के पंडित के निर्देशन में ताहिरपुर के एक जमींदार नारायण ने करवाया था. यह समारोह पूरी तरह से पारिवारिक था.

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बंगाल में दो तरह से दुर्गा पूजा होती है. एक पारा की दुर्गा पूजा और दूसरी बारिर दुर्गा पूजा. ये बंगाली शब्द हैं. पारा की पूजा में घर के आसपास, मोहल्ले और पड़ोस में होती है. वहीं बारिर दुर्गा पूजा के दौरान लोग घरों में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं. देवी दुर्गा की नौ दिनों तक विधि विधान से पूजा की जाती है. बारी का मतलब घर होता है.  

इन दोनों पूजा की रस्मे भी अलग होती है. पारा की दुर्गा पूजा के दौरान जगह-जगह सुंदर पड़ाल सजाए जाते हैं. इन पंडाल को थीम के अनुसार सजाया जाता है. इसके अलावा यहां अलग-अलग चीजों के स्टॉल लगाए जाते हैं.

यहां बड़ी संख्या में लोग देवी दुर्गा के दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा यहां रंगोली से प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है. इनमें लोग बढ़ चढ़कर भाग ले लेते हैं. वाकई ये नजारा देखने लायक होता है. 

 बारिर दुर्गा पूजा के दौरान घरों में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. बारिर का मतलब घर होता है. इस पूजा को पुरानी परंपराओं का ध्यान रखकर किया जाता है. घर-परिवार के सभी लोग इस पूजा में शामिल होते हैं
 

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