ज्येष्ठ माह की मासिक दुर्गा अष्टमी, देवी पूजन से मिलागा सफलता का आशीर्वाद
दुर्गा अष्टमी व्रत देवी शक्ति जिन्हें देवी दुर्गा का स्वरुप माना जाता है के लिए किया जाता है. यह दुर्गा को समर्पित दिवस है जो एक महत्वपूर्ण शक्ति अनुष्ठान होता है. मासिक दुर्गा अष्टमी हिंदू पंचांग अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के 8 वें दिन पर मनाई जाती है. सभी दुर्गा अष्टमी दिनों में, अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी सबसे लोकप्रिय है और इसे महा अष्टमी या केवल दुर्गाष्टमी कहा जाता है. मासिक दुर्गा अष्टमी बुधवार, 08 जून को आएगी. मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत के दौरान, महागौरी के रूप में दुर्गा देवी की पूजा की जाती है
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दुर्गा अष्टमी व्रत मुहूर्त समय
अष्टमी तिथि का समय जून 07, 07:55 पूर्वाह्न - 08 जून, 08:30 पूर्वाह्न तक व्याप्त होगी. देवी पूजन का आरंभ प्रात:काल से शुरु होगा तथा व्रत एवं उपासना के साथ देवी पूजन संपन्न होगा.
ज्येष्ठ मास की दुर्गाष्टमी के दिन पर ही धूमावती जयंती का पर्व भी मनाया जाता है. इस दिन देश भर के मंदिरों में देवी दुर्गा जी की पूजा का विशेष आहवान होता है. धूमावती जयंती या 'धूमावती महाविद्या जयंती' का त्योहार जिसे लोकप्रिय रूप से जाना जाता है, उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवी दुर्गा शक्ति की अभिव्यक्ति हेतु पृथ्वी पर अवतरित हुईं. हिंदू पौराणिक कथाओं में 10 महाविद्याओं में से सातवां माना जाता है. उन्हें देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप भी माना जाता है. इस शुभ दिन पर मां धूमावती की पूजा करने से भक्तों को उनकी सभी समस्याओं और पापों से मुक्ति मिल सकती है. धूमावती जयंती पूरे देश में उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है.
दुर्गा अष्टमी व्रत के दौरान होने वाले अनुष्ठान
अष्टमी पूजा के लिए भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और माता की पूजा करते हैं. देवी की पूजा धूप, अगरबत्ती और फूलों से की जाती है. इस दिन विशेष 'प्रसाद' तैयार किया जाता है. पूजा के समय, देवी को प्रसन्न करने के लिए विशेष देवी मंत्रों का पाठ किया जाता है और जीवन में सभी दुखों को समाप्त करने के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है. मंत्र जाप के बाद, 'आरती' की जाती है और प्रसाद को परिवार के सदस्यों और अन्य भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.
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दुर्गा अष्टमी के दिन, भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. वे सुबह जल्दी उठते हैं और देवी को फूल, चंदन और धूप के रूप में कई प्रसाद चढ़ाते हैं. कुछ स्थानों पर दुर्गा अष्टमी व्रत के दिन कुमारी पूजा भी की जाती है. हिंदू 6-12 वर्ष की आयु की लड़कियों को देवी दुर्गा के कन्या रूप के रूप में पूजते हैं. देवी को चढ़ाने के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन व्रत एवं उपवास करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. दुर्गा अष्टमी व्रत का पालन करने वाले भक्त दिन भर खाने-पीने से परहेज करते हैं.
यह व्रत स्त्री और पुरुष समान रूप से करते हैं. दुर्गा अष्टमी व्रत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने और देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है. कुछ भक्त केवल दूध पीकर या फल खाकर व्रत रखते हैं. इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन सख्त वर्जित है. दुर्गा अष्टमी व्रत के पालनकर्ता को फर्श पर सोना चाहिए और आराम और विलासिता से दूर रहते हुए देवी की भक्ति का पालन करना चाहिए. देवी के श्रद्धा भक्ति के साथ किए जाने वाले पूजन से जीवन में सफलता का आशिर्वाद भक्त को अवश्य प्राप्त होता है.
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