Dhanu Sankranti 2022: धनु संक्रांति पूजा विधि और महत्व के साथ जानें दान का लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं. धनु संक्रांति के दौरान सूर्य के दक्षिणायन होने से जल की मात्रा बढ़ जाती है. सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है. साल भर में बारी-बारी से सभी बारह राशियों में प्रवेश करता है.
सूर्य के किसी भी राशि में प्रवेश करने पर संक्रांति बनती है. इस प्रकार एक वर्ष में कुल 12 संक्रान्ति होती हैं. प्रत्येक संक्रांति का विशेष महत्व निहित रहा है. धार्मिक कार्यों में विशेष रुप से पूजा पाठ उपासना इत्यादि करना उत्तम कार्य माना जाता है.
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धनु संक्रांति का विशेष प्रभाव
संक्रांति के दौरान सूर्य के दक्षिणायण होने से शक्ति क्षीण होती हैं. इनके दुष्प्रभाव और प्रभाव से बचने के लिए धनु संक्रांति पर विशेष पूजा की जाती है. इस दिन दान का विशेष महत्व होता है. धनु संक्रांति के समय पर सूर्य उपासना का विशेष महत्व रहता है.
धनु संक्रांति से दक्षिणायन समाप्त होने लगता है, जो मकर संक्रांति पर समाप्त होता है, जिसके बाद उत्तरायण शुरू होता है. दक्षिणायन के दौरान सूर्य कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में गोचर करता है. सूर्य के राशि परिवर्तन की अवधि एक माह है. सूर्य किसी भी राशि में एक माह तक रहता है. ऐसे में कई राशियों पर इन छह महीनों में शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है.
संक्रांति 2022 पूजा विधि और महत्व
धनु संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या कुएं में स्नान करना चाहिए. इसके बाद मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा की जाती है. इनकी पूजा करने से सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य भी किया जाता है.
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धनु संक्रांति के समय विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं और पूजा, भगवत भजन आदि किए जाते हैं. इसलिए संक्रांति के दौरान भगवान भोलेनाथ, भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा और अर्चना की जाती है.
संक्रांति के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. साथ ही पितरों की शांति के लिए पूजा और पिंडदान भी किया जाता है. इस समय विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य करना वर्जित होता है.ऐसा माना जाता है कि सूर्य के तेज और पराक्रम का प्रभाव कुछ कम हो जाता है. यही कारण है कि धनु संक्रांति में पूजा, दान, तप का विशेष महत्व है. धनु संक्रांति का समय मौसम में बदलाव का समय होता है. इस समय शीत ऋतु का समय अपने चरम पर होता है. इस संक्रांति समय पर गरीबों को मध्य गरम वस्तुओं का दान विशेष पुण्यदायक होता है.
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