Dev Deepawali 2022: कब है देव दीपावली, जानें इस दिन दीपदान करने का महत्व और शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास की अमावस्या पर आम आदमी की दिवाली संपन्न होने के बाद अब आखिर कब मनाई जाएगी देवताओं की दीपावली? देव दीपावली की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
सनातन परंपरा में दीपावली पर्व का आखिर कितना महत्व है, इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि कार्तिक मास की अमावस्या पर आम लोगोंं के द्वारा इसे मनाए जाने के ठीक 15 दिन बाद देवतागण भी बड़ी धूम-धाम से दिवाली मनाते हैं.
मान्यता है कि देव दीपावली पर्व को मनाने के लिए सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतर कर आते हैं. प्राचीन नगरी काशी में इन देवी-देवताओं के स्वागत में लोग लाखों की संख्या में दीये जलाकर यह पर्व मनाते हैं. आइए जानते हैं कि देव दीपावली का पावन पर्व इस साल कब मनाया जाएगा और इस दिन किए जाने वाले दीपदान का आखिर क्या महत्व है.
देव दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक
प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक
अवधि - 02 घंटे 35 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 मिनट तक
साल 2022 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 8 नवंबर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 27 बजे तक लगेगा
देव दीवाली पर क्या करें?
इस त्योहार पर भक्त गंगा तट पर स्नान करके दीपदान करते हैं, इस दिन गंगा में स्नान को पवित्र माना जाताहै. देवी गंगा को श्रद्धा के प्रतीक के रूप में तेल के दीपक अर्पित किए जाते हैं. गंगा आरती की जाती है.
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देव दीपावली का धार्मिक महत्व
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले देव दीपावली पर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. जिसके बाद सभी देवी-देवताओं ने त्रिपुरासुर पर मिली विजय की खुशी में दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को प्रकट किया था.
धार्मिक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि का पालन करने के लिए मत्स्य रूप धारण किया था. मान्यता यह भी है कि भगवान श्री विष्णु के चिरनिद्रा से जागने पर देवी-देवता धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा भगवान श्री विष्णु के साथ करते हैं. देव दीपावली के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी जी की पूजा का भी विशेष महत्व है.
काशी में तब उतर आता है पूरा देवलोक
देव दीपावली का पावन पर्व काशी में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गंगा नदी के किनारे घाटों पर लाखों की संख्या में दीये जलाकर देवी-देवताओं का स्वागत एवं पूजन किया जाता है. देव दीपावली वाले दिन जिस समय वाराणसी में गंगा के घाटों पर दीपदान होता है, उसे देखकर मानों ऐसा लगता है कि पूरा देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो. इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए लोग यहां पर देश-विदेश से पहुंचते हैं.
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