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Dattatreya Jayanti : भगवान दत्तात्रेय की जयंती, जानें महत्व और पूजा विधि

Myjyotish Expert Updated 09 Dec 2022 05:52 PM IST
Dattatreya Jayanti : भगवान दत्तात्रेय की जयंती, जानें महत्व और पूजा विधि
Dattatreya Jayanti : भगवान दत्तात्रेय की जयंती, जानें महत्व और पूजा विधि - फोटो : google
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Dattatreya Jayanti : भगवान दत्तात्रेय की जयंती, जानें महत्व और पूजा विधि


दत्तात्रेय जयंती को सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. दत्तात्रेय जयंती का दिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है. इसी शुभ दिन पर भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है. कहीं-कहीं भगवान दत्तात्रेय को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है. गुरुओं के रुप में यह उच्च स्थान में विराजमान होते हैं.

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दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित हैं. महाराष्ट्र में उन्हें मुख्य देवता के रुप में पूजा जाता है. भगवान दत्तात्रेय का स्वरुप अत्यंत सुंदर माना गया है जिसमें तीनों लोकों के देवों का समावेश होता है. दत्तात्रेय जी के तीन सिर और छह भुजाएं हैं. दत्तात्रेय जयंती के दिन उनके बाल रूप की पूजा की जाती है. यह दिन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में स्थित भगवान दत्तात्रेय मंदिरों में बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस विशेष दिन पर व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते हैं, भगवान दत्तात्रेय उन्हें सुख, संपत्ति और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं.

दत्तात्रेय जयंती शुभ तिथि मुहूर्त पूजा 
दत्तात्रेय जयंती का समय अत्यंत शुभ समय में स्थान पाता है. इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र दिनों में स्नान कार्य को अत्यंत शुभ माना जाता है. दत्तात्रेय जयंती हिंदुओं के मध्य धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है. मार्गशीर्ष माह अपने आप में एक अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह महीना भगवान कृष्ण को समर्पित है और दत्तात्रेय जी को भगवान श्री विष्णु का स्वरुप भी माना जाता है. 

दत्तात्रेय जयंती पूजा विधि
दत्तात्रेय जयंती के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. भक्त मंदिर जाते हैं और विशेष भगवान दत्तात्रेय पूजा धूप, दीया, फूल, कपूर और मिठाई के साथ की जाती है.
दत्तात्रेय जयंती के इस शुभ दिन पर लोग भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं.

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धार्मिकता का मार्ग प्राप्त करने के लिए घरों और मंदिरों में भगवान दत्तात्रेय की मूर्तियों की पूजा की जाती है. मंदिरों को सजाया जाता है, सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. कहीं-कहीं लोग अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता का पाठ भी करते हैं.

दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति को सफेद आसन पर स्थापित करना चाहिए. इसके बाद भगवान दत्तात्रेय का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. इसके बाद धूप, घी का दीपक जलाएं और भगवान दत्तात्रेय को फूल, मिठाई और फल अर्पित करें. ध्यान रहे कि पूजा में सफेद रंग के फूल और फल ही चढ़ाना चाहिए.

दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. इस दिन भगवत गीता का पाठ करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. विधि-विधान से पूजा करने के बाद दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा बनी रहती है.
 

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