Chitragupta Puja Vidhi: भगवान चित्रगुप्त की पूजा कब है? जानें मुहूर्त और बहीखातों और कलम की पूजा की विधि
चित्रगुप्त के इंसानों की सारे कर्म के बहीखाता होता है। उसमें इंसानों के अच्छे कर्म से लगाए बुरे कर्मों का लेखा जोखा होता है। उसी के अनुसार ही मनुष्यों को सारे कर्मों लिस्ट तैयार होती है। यम के देवता श्री चित्रगुप्त की पूजा होती है। वो भी पूरे विधि विधान से इनकी पूजा की जाती है।
दीपावली के कुछ दिन बाद भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। देखा जाए तो दीपावली के त्योहार पूरे पांच दिनों तक चलता है। और दीपावली से पांचवा दिन ही भाईदूज होता है। भाईदूज का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
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कई जगहों पर इसे बड़े धूम धाम से मनाया जाता हैं। ऐसी मान्यता है की भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से कारोबार में तरक्की का वरदान मिलता है। आइए जानते है की कब है ये पूजा और भी इससे जरूरी बातों पर गौर करते है।
यम द्वितीया 2022 कब है ?
इस साल यम द्वितीया 26 अक्टूबर 2022 को है। इस दिन सब लोग अपने–अपने बहीखाते और कलम की पूजा करते है। उसके बाद अपने कारोबार से जुड़े सारे कामों का विवरण चित्रगुप्त के समक्ष रख देते है। और पूजा के अंत में उनसे प्रार्थना करते है की हमारे व्यवसाय में बरकत बनाएं रखें।
भगवान चित्रगुप्त पूजा 2022
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि प्रारम्भ 26 अक्टूबर 2022, दोपहर 2 : 42 मिनट
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त 27 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 : 45 मिनट
पूजा मुहूर्त
दोपहर 1 : 18 मिनट
26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 3 : 33 मिनट
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भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि
हर देवी देवता के पूजा करने के अपने विधि होते है। ठीक वैसे ही भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है। भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से कारोबार में बरकत मिलती है। ये भी कहा जाता है की इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करने जो भी हमने धरती पर बुरे कर्म किए होते है,तो नर्क लोक में मिलने वाली यातना नहीं सहना पड़ता है।
इसलिए कहा जाता है की यम द्वितीया पर शुभ मुहूर्त देखकर ही अपने बहिखाते की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है की इस दिन कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा करता है। इस दिन कायस्थ समाज एक सुनिश्चित जगह पर एक चौकी रखकर चित्रगुप्त की फोटो को रखकर उनपर रोली, अक्षत्, फूल, मिठाई और फल अर्पित करते है।
साथ ही अपने नए पुराने सभी काम का ब्योरा चित्रगुप्त को सौप देते है। और फिर सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ऊं चित्रगुप्ताय नमः लिख कर विद्या, बुद्धि तथा जीवन में तरक्की की प्रार्थना करके थोड़े देर वही रहते है।
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